असम की राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (N.R.C) की अंतिम सूची शनिवार को जारी कर दी गई
1 min readजिनमें बड़ी संख्या मुसलमान व बंगाली हिंदुओं की है। ( N.R.C ) की अंतिम सूची सुबह लगभग 10 बजे ऑनलाइन जारी की गई, जिसके बाद असम में अवैध रूप से रह रहे विदेशियों की पहचान करने वाली छह साल की कार्यवाही पर विराम लग गया। असम के लोगों के लिए ( N.R.C ) का बड़ा महत्व है क्योंकि राज्य में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को हिरासत में लेने और उन्हें वापस भेजने के लिए छह साल तक ( 1979-1985 ) आंदोलन चला था। ( N.R.C ) को संशोधित करने की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 2013 में शुरू हुई। इसे सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा किया जा रहा है। जिसमें से 19,06,657 लोगों को निकाल दिया गया और 3,11,21,004 लोगों को भारतीय नागरिक बताया गया। ( N.R.C ) की अंतिम सूची में जिन लोगों का नाम इस लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। उनके पास अपनी नागरिकता सिद्ध करने के लिए 120 दिन में विदेशी ट्राइब्यूनल में अपील करने का अधिकार होगा। उसके बाद भी उच्चतम न्यायलय तक के विकल्प खुले रहेंगे। पिछले साल जारी लिस्ट में 41 लाख लोगों के नाम छूट गए थे।
असम में ( N.R.C ) के संशोधन की प्रक्रिया शेष भारत से अलग है और इस पर नियम 4अ लागू होता है और नागरिकता की अनुसूची (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान कार्ड का मुद्दा) कानून, 2003 की इसी अनुसूची लागू है। ( N.R.C ) अथॉरिटी द्वारा शनिवार को जारी बयान के अनुसार, इन नियमों को असम समझौते के अनुसार निर्धारित 24 मार्च (मध्य रात्रि) 1971 की कट-ऑफ तिथि के अनुसार तैयार किया गया है। ( N.R.C ) आवेदन फॉर्म्स ग्रहण करने की प्रक्रिया 2015 में मई के अंत से शुरू हो गई और 31 अगस्त तक जारी रही। इसके लिए 68,37,660 आवेदन पत्रों के माध्यम से कुल 3,30,27,661 लोगों ने आवेदन किया। ( N.R.C ) में शामिल करने के लिए आवेदकों की योग्यता निर्धारित करने के लिए आवेदकों द्वारा दाखिल किए गए ब्योरों को जांच के लिए लाया गया था। बयान में कहा गया ( N.R.C ) संशोधन एक विशाल प्रक्रिया है। जिसमें राज्य सरकार के 52,000 सरकारी अधिकारी लंबे समय से काम कर रहे हैं।
पिछले साल प्रकाशित NRC की सूची में 2,89,83,677 लोगों को गलत पाया गया था। बयान के अनुसार इसलिए 36,26,630 लोगों ने सूची से अपना नाम निकाले जाने के खिलाफ अपील की। सरकार ने आश्वासन दिया है कि ( N.R.C ) की अंतिम सूची से निकाले गए लोगों को हिरासत में नहीं लिया जाएगा और वे सूची से खुद को निकालने के खिलाफ फॉरनर्स ट्रिब्यूनलों और उसके बाद शीर्ष अदालतों में अपील कर सकते हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव ( गृह राजनीति ) कुमार संजय कृष्णा ने कहा, ये लोग पहले फॉरनर्स ट्रिब्यूनल ( एफटी ) जा सकते हैं, और एफटी के आदेश से संतुष्ट नहीं होने पर उच्च अदालत में याचिका दायर कर सकते हैं।
असम सरकार राज्य में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर ( N.R.C ) की अंतिम सूची से निकाले गए लोगों से संबंधित मामले देखने के लिए 400 फॉरनर्स ट्रिब्यूनल्स स्थापित करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भी एनआरसी सूची से निकाले गए लोगों को जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण ( D.L.S.A) के माध्यम से कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए सभी जरूरी बंदोबस्त करेगी। यह किसी राज्य या देश में रह रहे नागरिकों की विस्तृत रिपोर्ट है। भारत में पहला नागरिकता रजिस्टर 1951 में जनगणना के बाद तैयार हुआ। इस रजिस्टर में दर्ज सभी को भारत का नागरिक माना गया। यह इकलौता नागरिक ब्यौरा रजिस्टर है। 1986 के नागरिकता कानून में संशोधन करके असम में भारतीय नागरिकता के नियम बदले गए। जिसके तहत वहां 1951 से 2र्च 1971 की मध्य रात्रि तक भारत में रहने वालों को ही भारतीय माना जाएगा।