इस शुभ मुहूर्त में करें मोक्षदा एकादशी की पूजा
1 min readहर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर व्रत किया जाता है। साथ ही जीवन में सुखों की प्राप्ति के लिए पूजा की जाती है। मार्गशीर्ष माह में मोक्षदा एकादशी व्रत किया जाता है। साथ ही इस दिन विशेष चीजों का दान करने का विधान है। चलिए जानते हैं कि मोक्षदा एकादशी का शुभ मुहूर्त (Mokshada Ekadashi 2024 Shubh Muhurat) से लेकर पूजा विधि तक।
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी का नाम से जाना जाता है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष यह व्रत आज यानी 11 दिसंबर को किया जा रहा है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन विष्णु जी और मां लक्ष्मी की उपासना करने से जातक को मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। साथ घर में सुख-शांति का आगमन होता है। आइए जानते हैं इस दिन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में।
मोक्षदा एकादशी 2024 शुभ मुहूर्त (Mokshada Ekadashi 2024 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 दिसंबर को देर रात 03 बजकर 42 मिनट पर शुरू हो गई है। वहीं, इस तिथि का समापन 12 दिसंबर (Mokshada Ekadashi 2024 Puja Time) को देर रात 01 बजकर 09 मिनट पर होगा। ऐसे में आज यानी 11 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी व्रत किया जा रहा है।
मोक्षदा एकादशी 2024 व्रत का पारण समय (Mokshada Ekadashi 2024 Vrat Paran Time)
व्रत का पारण करने का समय 12 दिसंबर को सुबह 07 बजकर 05 मिनट से लेकर 09 बजकर 09 मिनट तक है।
मोक्षदा एकादशी 2024 पूजा विधि (Mokshada Ekadashi 2024 Puja Vidhi)
सुबह स्नान करने के बाद पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
सूर्य देव को अर्घ्य दें।
इसके बाद चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर विष्णु जी और मां लक्ष्मी की मूर्ति को विराजमान करें।
विष्णु जी को फूलमाला चढ़ाएं और देवी लक्ष्मी को सोलह श्रृंगार की चीजें अर्पित करें।
इसके बाद विधिपूर्वक आरती करें और विष्णु चालीसा का पाठ करें।
पंचामृत और फल का भोग लगाकर लोगों में प्रसाद का वितरण करें।
भगवान विष्णु को लगाएं इन चीजों का भोग (Mokshada Ekadashi Bhog)
ऐसा माना जाता है कि एकादशी की पूजा में भोग शामिल न करने से जातक को व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है। इसलिए पूजा थाली में पंचामृत, फल, पीली मिठाई समेत आदि चीजों को शामिल करें। साथ ही तुलसी के पत्ते भी शामिल करें।
भगवान विष्णु के मंत्र (Shri Vishnu Mantra)
ॐ अं वासुदेवाय नम:
ॐ आं संकर्षणाय नम:
ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
ॐ नारायणाय नम:
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
ॐ विष्णवे नम:
ॐ हूं विष्णवे नम:
।।भगवान विष्णु की आरती।। (Bhagwan Vishnu Ki Aarti)
ॐ जय जगदीश हरे आरती
ॐ जय जगदीश हरे…
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे…
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे…
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे…
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे…
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे…
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे…
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे…
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वामी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे…
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे…