सुशील मोदी ने मजदूरों और छात्रों को वापस बुलाने पर दिया बयान।
1 min readकेंद्र सरकार ने अप्रवासी मजदूरों को वापस अपने गृह राज्य लाने के लिए भले ही गाइडलाइन जारी कर दिया हो पर बिहार के मजदूरों की वापसी की राह अभी भी मुश्किल है. दूसरे राज्यों में रहने वाले मजदूर कैसे वापस बिहार आएंगे, इसका कोई जवाब बिहार सरकार के पास फिलहाल नहीं है. मजदूरों को वापस लाने के मामले में बिहार सरकार ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं. बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि हमारे पास इतने बस नहीं कि सबको बुलाया जा सके संसाधन की कमी बताते हुए सुशील मोदी मजदूरों को वापस लाने की बात पर कुछ भी साफ नहीं कर पाए.
हालांकि, डिप्टी सीएम ने इतना जरूर कहा कि मुख्य सचिव के साथ बैठक कर सारी बातों पर चर्चा करेंगे और कोई रणनीति बनायी जाएगी.बिहारी मजदूरों को वापस लाने के सवाल पर डिप्टी सीएम के हाथ खड़े कर देने पर विपक्ष ने सवाल खड़ा किया है. कांग्रेस नेता प्रेमचन्द्र मिश्रा ने कहा कि सरकार अब भाग नहीं सकती. बिहार सरकार पहले गाइडलाइन बनाने की बात कह रही थी. अब सबकुछ तय होने के बाद संसाधन का रोना रो रही है.
साथ ही आपको यह भी बता दें कि बुधवार को केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दौरान ऐसे लोगों को अपने गांव-घर जाने की अनुमति दे दी है. गृह मंत्रालय ने बुधवार को राज्यों को इस संबंध में आदेश जारी किया. इसमें कहा गया है कि फंसे मजदूरों, छात्रों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों आदि को बसों से उनके गंतव्य तक पहुंचाया जाएगा. बसों को अच्छी तरह सैनिटाइज किया जाएगा और लोगों को बैठाने में फिजिकल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखना होगा. आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है केंद्र ने ये भी कहा कि जहां लोगों को एक से दूसरे राज्य में जाना होगा, वहां दोनों राज्य आपसी समन्वय से कदम उठाएंगे. वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि यह हमलोगों का आग्रह था जिसपर केंद्र सरकार ने सकारात्मक निर्णय लिया. गौरतलब है कि 27 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री ने इस पर नीति बनाने की मांग की