भिलाई में बनेगी देश की सबसे हल्की बुलेट प्रूफ जैकेट, सैनिकों को होगी सुविधा:-
1 min readदेश के लिए सबसे मजबूत लोहा बनाने वाले भिलाई का नाम जल्द ही सैनिकों के उपयोग में आने वाली बुलेट प्रूफ जैकेट से भी जुड़ जाएगा। यहां की एक निजी कंपनी देश का सबसे हल्का बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने जा रही है। भारत सरकार और कंपनी के बीच इस संबंध में अनुबंध हो गया है। सेना में वर्तमान में उपयोग की जा रही जैकेट 17 किलो वजनी है, जबकि भिलाई में बनने जा रही जैकेट 11 किलो की होगी। यह गुणवत्ता में बेहतर और 40 फीसद कम कीमत की होगी। इसका निर्माण शुरू होने से करीब 200 युवाओं को रोजगार मिलेगा। इसके अलावा इसमें लगने वाले सामान के निर्माण के लिए एंसीलरी लगाने का मार्ग भी प्रशस्त होगा। भारत सरकार और सेना के विशेषज्ञ अफसर इसके निर्माण पर नजर रखेंगे।
वर्तमान में देश के सैनिक जिस तरह के बुलेट प्रूफ जैकेट पहनते हैं, उनमें से ज्यादातर का निर्माण कानपुर में एक निजी कंपनी करती है। भारत सरकार से अनुबंध के तहत कानपुर से जैकेट की आपूर्ति की जाती है। भारत इजराइल, इंग्लैंड, फ्रांस और ग्रीस से भी बुलेट प्रूफ जैकेट मंगवाता है। चीन से संबंध बिगड़ने के बाद भारत ने वहां का आर्डर वापस ले लिया है। भारत सरकार के कानपुर डिवीजन ने इस निजी कंपनी को बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने की अनुमति दी है।
भिलाई में बनाए जाने वाले बुलेट प्रूफ जैकेट में सिलिकान कार्बाइड का उपयोग किया जाएगा। यह स्टील से हल्का और उससे कई गुना अधिक मजबूत होता है। इसके उपयोग से सैनिकों के लिए जोखिम और कम हो जाएगी। इतना ही नहीं, सरकार वर्तमान में जो जैकेट 32 से 40 हजार रुपये तक में खरीदती है, भिलाई में बनने वाला जैकेट इससे करीब 40 फीसद कम कीमत वाला होगा। यह जैकेट भारत सरकार की अनुमति के बगैर किसी को नहीं दिया जा सकेगा।
विशेष खूबियों वाले इस जैकेट को तैयार करने वाली निजी कंपनी ने सारे मापदंडों के आधार पर निर्माण का प्रस्ताव केंद्र सरकार के समक्ष रखा था। लंबी जांच के बाद इसकी स्वीकृति मिली। करीब साढ़े तीन साल के प्रयासों के बाद कंपनी को बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने का लाइसेंस मिल पाया। इसकी तकनीक डिफेंस रिसर्च डेवलप आर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) से ली है। कंपनी साल में एक लाख से अधिक जैकेट की आपूर्ति करेगी।
कंपनी के संचालक एस. सुब्रमण्यम ने बताया कि बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने का लाइसेंस मिलते ही पांडिचेरी और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने उनसे संपर्क कर अपने राज्यों में उद्योग लगाने का आमंत्रण दिया है। जमीन, पानी, बिजली मुफ्त में दे रहे हैं, लेकिन वे इसे अपने छत्तीसगढ़ में ही लगा रहे हैं। भिलाई के नंदिनी में 54 एकड़ क्षेत्रफल में इसे स्थापित किया जा रहा है।