कोरोना योद्धा बनने की प्रेरणा दे रहे हैं योगियों की यह प्रतिमाएं, लोगों के लिए बड़ा संदेश:-
1 min readकोरोना वायरस से बचाव के लिए शासन, प्रशासन ने पूरी ताकत झोंक दी है। चिकित्सक, चिकित्सा कर्मी, पुलिस अधिकारी, जवान, सफाई कर्मी, घर-घर जाकर कोरोना संदिग्धों, पीड़ितों का पता लगाने वाले कर्मचारी मार्च से अब तक निरंतर कोरोना योद्धा बने हुए हैं। इसी तरह जरूरतमंदों को भोजन, काढ़ा, मास्क, सैनिटाइजर मुफ्त में देने वाले समाजसेवी और अन्य लोग भी समर्पण भाव से सेवा-कार्य कर रहे हैं। ठीक इन्हीं सबकी तरह सूर्य नमस्कार करते योगियों की मूर्तियां भी लोगों को कोरोना योद्धा बनने, महामारी से बचे रहने की प्रेरणा दे रही हैं। ये मूक मूर्तियां बहुत कुछ कह रही हैं। बस महसूस करने की जरूरत है।
योगियों की ये मूर्तियां राजधानी रायपुर के गौरवपथ पर स्थापित की गई हैं। यहीं पास में मुख्यमंत्री निवास है, शहर का जाना-माना गांधी-नेहरू उद्यान भी यहीं है। गौरवपथ शहर के प्रमुख मार्गों में से एक है, जिससे होकर बड़ी संख्या में लोग गुजरते हैं। निश्चय ही योगियों की ये मूर्तियां लोगों को प्रेरित करती होंगी। छत्तीसगढ़ के अन्य शहरों, गांवों और बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों के लिए ये मूर्तियां आकर्षण का केंद्र होती हैं। सुबह घूमने निकले लोगों के मन को ये योगी ऊर्जा से भर देते हैं। कोरोना काल में तो ये मूर्तियां लोगों को बड़ा संदेश दे रही हैं।
डाक-विभाग से अवकाश प्राप्त, राजातालाब निवासी आरएल यादव कहते हैं कि इन योगियों से उन्हें इतनी प्रेरणा मिली कि वह नियमित रूप से योग करने लगे। कोरोना काल में योग बहुत जरूरी है। संयमित खानपान, सैनिटाइजर से हाथ धुलाई, भीड़भाड़ से दूर रहने से जहां हम कोरोना से बचे रहेंगे, वहीं नियमित योग, व्यायाम करने से हमें इस बीमारी से लड़ने की ताकत मिलेगी।
गांधी गार्डन में सालों से लोगों को योग सिखाने वाले 72 वर्षीय योग-गुरु जीएन भांगला ने कहा कि पिछली सरकार ने गौरवपथ पर ये मूर्तियां स्थापित कराकर बड़ा ही सराहनीय कार्य किया। इन योगियों को देखकर मन प्रफुल्लित हो जाता है। वैसे तो हमेशा योग करना चाहिए, लेकिन इस कोरोना काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए योग बहुत जरूरी है। इसे अपनी दिनचर्या में अनिवार्य रूप से शामिल करना चाहिए।
आनंद नगर निवासी संजय तिवारी ने कहा कि शहर के चौराहों, सड़क किनारे और उद्यानों में स्थापित मूर्तियां जीवन को बेहतर बनाने की प्रेरणा देती हैं। बस उनसे प्रेरणा लेने की हमारे पास दृष्टि होनी चाहिए। इन योगियों की मूर्तियां निश्चय ही बड़ी प्रेरक हैं। शहर के अन्य हिस्सों में भी ऐसी प्रेरक मूर्तियां स्थापित करनी चाहिए। इन मूर्तियों का हर दिन महत्व है, सिर्फ योग दिवस पर ही नहीं।
योग-गुरु जीएन भांगला ने बताया कि सूर्य नमस्कार का शाब्दिक अर्थ सूर्य को अर्पण या नमस्कार करना है। यह योग आसन शरीर को सही आकार देने और मन को शांत व स्वस्थ रखने का उत्तम तरीका है। कोरोना काल में तो सूर्य नमस्कार करना अति लाभदायक है।
उन्होंने जानकारी दी कि सूर्य नमस्कार १२ शक्तिशाली योग आसनों का एक समन्वय है, जो एक उत्तम कार्डियो-वस्क्युलर व्यायाम भी है और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। सूर्य नमस्कार मन वह शरीर दोनों को तंदुरुस्त रखता है। यदि आपके पास समय की कमी है और आप चुस्त दुरुस्त रहने का कोई नुस्ख़ा खोज रहे हैं तो सूर्य नमस्कार उसका सबसे अच्छा विकल्प है। सूर्य नमस्कार प्रातःकाल खाली पेट करना उचित होता है। आइए अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए सूर्य नमस्कार के इन सरल और प्रभावी आसनों को आरंभ करें। प्रत्येक सूर्य नमस्कार के चरण में १२ आसनों के दो क्रम होते हैं। १२ योग आसन सूर्य नमस्कार का एक क्रम पूर्ण करते हैं। सूर्य नमस्कार के एक चरण के दूसरे क्रम में योग आसनों का वह ही क्रम दोहराना होता है, अपितु केवल दाहिने पैर के स्थान पर बाएं पैर का प्रयोग करना होगा (नीचे चौथे और नवें पद में इसका विवरण दिया गया है)। सूर्य नमस्कार के विभिन्न प्रारूप पाए जाते हैं, हालांकि बेहतर यही है कि किसी एक ही प्रारूप का अनुसरण करें और उसी के नियमित अभ्यास से उत्तम परिणाम पाएं।