शहर में 10 अंग्रेजी माध्यम और स्कूल खोलने के लिए डीईओ ने भेजा सरकार को प्रस्ताव :-
1 min readजिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) कार्यालय ने राज्य सरकार को 10 नए अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोलने के लिए प्रस्ताव भेजा है। डीईओ जीआर चंद्राकर ने बताया कि रायपुर में पहले से तीन अंग्रेजी माध्यम स्कूल चल रहे हैं अब 10 नए अंग्रेजी माध्यम स्कूल और होंगे। नए स्कूल खोलने से अभिभावकों को अधिक से अधिक संख्या में दाखिला कराने का मौका मिलेगा। अभी रायपुर में पंडित आरडी तिवारी स्कूल आमापारा, शहीद स्मारक स्कूल फाफाडीह और हायर सेकेंडरी स्कूल कटोरा तालाब में 1600 सीटों पर अंग्रेजी माध्यम स्कूल में बच्चों का दाखिला लिया गया है। यहां अंग्रेजी पढ़ाने के लिए करीब 70 शिक्षकों की नियुक्ति भी की गई है। बताया जाता है कि 10 नए अंग्रेजी माध्यम स्कूल खुलेंगे तो रायपुर में करीब 6000 सीटें बढ़ जाएंगी और अंग्रेजी पढ़ाने वाले शिक्षकों को भी नौकरी के अवसर मिलेंगे।
नए अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में आधुनिकतम सुविधाएं दी जाएंगी। बच्चों के लिए लैब और लाइब्रेरी समेत म्यूजिक व कंप्यूटर की भी सुविधा दी जाएगी। पहली बार सरकारी स्कूलों में म्यूजिक और कंप्यूटर के शिक्षक भी नियुक्त किए जा रहे हैं।डीईओ जीआर चंद्राकर ने बताया कि राज्य सरकार स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल योजना के तहत राज्य के चुनिंदा स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम स्कूल में बदल रही है। छत्तीसगढ़ में अभी तक अंग्रेजी माध्यम स्कूल नहीं थे इस साल रायपुर समेत पूरे प्रदेश में 52 अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोले गए हैं। अब हर जिले से अलग-अलग प्रस्ताव मांगे गए हैं। इसी के तहत रायपुर से 10 और स्कूलों के नाम भेजे जा रहे हैं।
अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में कोरोनावायरस संक्रमण के कारण बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हो गई है। शिक्षक ऑनलाइन बच्चों को वीडियो के माध्यम से पढ़ा रहे हैं। आज का 10वीं और 12वीं के बच्चों के लिए इस बार सिलेबस में 30 फीसद की कटौती कर दी गई है। इन बच्चों के लिए हर महीने छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की ओर से असाइनमेंट भेजा जा रहा है। इस असाइनमेंट के अंकों को भी बोर्ड परीक्षा के अंतिम परिणाम में जोड़ने की तैयारी है।
जानकारों का कहना है की स्कूलों की स्थिति सुधारने का काम सबसे पहले दिल्ली की सरकार में वहां के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किया था। इसके बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्कूलों की स्थिति सुधारने का जो बीड़ा उठाया है वह काबिले तारीफ है। जानकारों की माने तो आज अभिभावकों की पहली पसंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल है इसी के कारण अंग्रेजी माध्यम स्कूल नहीं होने से सरकारी स्कूलों में दाखिले का स्तर लगातार गिर रहा था। अंग्रेजी माध्यम स्कूल खुलने के कारण अब एक बार फिर अंग्रेजी पढ़ने वाले बच्चों के लिए सस्ती और सुलभ शिक्षा मिल पाएगी।