श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल
1 min readखास बातें
- साल 2006 में तमिल विद्रोहियों के आत्मघाती हमले में बाल-बाल बचे थे
- गौतबाया को अधिकतर तमिल अल्पसंख्यक अविश्वास की नजर से देखते हैं
- 1983 में उन्होंने मद्रास यूनिवर्सिटी से रक्षा अध्ययन में पोस्ट ग्रेजुएट किया
श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल करने वाले गौतबाया राजपक्षे वह शख्स हैं, जिन्हें लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के साथ तीन दशक तक चले गृह युद्ध को निर्दयतापूर्वक खत्म करने का श्रेय जाता है। बहुसंख्यक सिंहली बौद्ध उन्हें ‘युद्ध नायक’ मानते हैं, जबकि अधिकतर तमिल अल्पसंख्यक उन्हें अविश्वास की नजर से देखते हैं।
राजपक्षे ने साल 1980 के दशक में असम स्थित ‘काउंटर इंसर्जेंसी एंड जंगल वारफेयर स्कूल’ में प्रशिक्षण लिया। बड़े भाई महिंदा राजपक्षे के राष्ट्रपति रहने के दौरान उन्होंने 2005 से 2014 में रक्षा सचिव की जिम्मेदारी निभाई थी। 1983 में उन्होंने मद्रास यूनिवर्सिटी से रक्षा अध्ययन में पोस्ट ग्रेजुएट किया।
इस साल अक्तूबर में राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाए जाने के बाद राजपक्षे ने कहा था कि अगर वह जीतते हैं तो युद्ध समाप्ति के बाद संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के समक्ष जताई गई प्रतिबद्धता या मेल मिलाप का सम्मान नहीं करेंगे। उन्होंने कहा था कि हम यूएन के साथ हमेशा काम करेंगे, लेकिन पिछली सरकार के दौरान यूएन के साथ किए गए करार का सम्मान नहीं करेंगे।
तमिलों की हत्या और यातना के आरोप
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