पर्यटन, संस्कृति एवं धर्माथ कार्य, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), उ0प्र0 सरकार द्वारा अयोध्या में हुई समीक्षा बैठक
1 min readपर्यटन, संस्कृति एवं धर्माथ कार्य, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), डॉ.नीलकंठ तिवारी द्वारा अयोध्या स्थित रामकथा संग्रहालय की योजना के संबंध में समीक्षा बैठक की गई। पर्यटन निदेशालय, उ0प्र0, लखनऊ के सभाकक्ष में अयोध्या स्थित रामकथा संग्रहालय में राम कथा पर आधारित डिजिटल इन्टरवेन्शन से संबंधित कराये जाने वाले कार्यों का प्रस्तुतीकरण दिया गया।
प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या पर्यटन के दृष्टिकोण से अत्यन्त महत्वपूर्ण है। पर्यटन विभाग द्वारा अयोध्या का समेकित विकास किया जा रहा है, जिससे वहाँ पधारने वाले पर्यटकों/श्रृद्धालुओं को हर सम्भव सुविधा प्राप्त हो सके। इसके साथ-ही-साथ देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों का पर्यटन-अनुभव बेहतर हो सके।
संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा म्यूजियम ग्राण्ट स्कीम के अन्तर्गत अयोध्या स्थित रामकथा संग्रहालय में राम कथा पर आधारित डिजिटल इन्टरवेन्शन हेतु रु0 13.48 करोड़ की योजना स्वीकृत की गयी है, जिसमें से रु0 08.00 करोड़ का अनुदान संस्कृति मत्रालय, भारत सरकार द्वारा दिया जायेगा एवं शेष धनराशि प्रदेश सरकार द्वारा वहन की जायेगी। इस कार्य की कार्यदायी संस्था उ0प्र0 राजकीय निर्माण निगम है।
रामकथा संग्रहालय में 04 गैलरी प्रस्तावित है, जिसमें 270 डिग्री प्रोजेक्शन मैपिंग, होलोग्राफिक इमेजिंग, एल0ई0डी0 वाॅल इत्यादि के माध्यम से प्रभु श्रीराम की जीवनी दर्शायी जाएगी। प्रत्येक गैलरी में 30 लोगों के बैठने की व्यवस्था होगी तथा प्रति गैलरी में लगभग 10 मिनट का प्रभु श्रीराम के जीवन काल के प्रसंगो पर आधारित कथा का प्रदर्शन होगा।
पर्यटन मंत्री जी द्वारा सुझाव दिया गया कि रामचरितमानस का पूर्ण अध्ययन करने के पश्चात ही रामकथा पर आधारित डिजिटल इन्टरवेन्शन का कार्य किया जाना उचित होगा। उन्होंने कहा कि अयोध्या का समग्र इतिहास आध्यात्मिक, पौराणिक एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोण से समझना अत्यन्त आवश्यक है।
पर्यटन मंत्री जी द्वारा यह निर्देश दिए गए कि हमारी ऐतिहासिक धरोहरों की तरफ पर्यटकों को आकर्षित किए जाने हेतु विकसित किया जाना आवश्यक है, परन्तु धरोहरों को बिना नुकसान पहुँचाए, उस स्थान का विकास किया जाना चाहिए। जो भी विकास कार्य हो, वह उत्तम श्रेणी का एवं विश्व स्तरीय हो।
पर्यटन मंत्री जी द्वारा यह सुझाव दिया गया कि प्रभु श्री राम की कथा का प्रारम्भ उसके इतिहास से होना चाहिए, जिसमें सूर्यवंशी राजाओं का सम्पूर्ण इतिहास सम्मिलित हो। जो भी चित्र बनाए जाएं, उन सभी का गहन शोध किया गया हो तथा हर चरित्र के मुख के भाव की अभिव्यक्ति का उसमें समावेश हो। प्रभु श्रीराम की कथा को ऐसे दर्शाया जाए, जिससे बच्चें एवं युवा उनकी जीवनी से भली-भाँति परिचित हो सकें और उनके द्वारा स्थापित आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसार और अपनाने का प्रयास कर सकें। मंत्री जी द्वारा रामकथा संग्रहालय में राम कथा पर आधारित डिजिटल इन्टरवेन्शन का कार्य प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण कराये जाने के निर्देश भी दिए गए।
बैठक में श्री मुकेश कुमार मेश्राम, प्रमुख सचिव एवं महानिदेशक पर्यटन एवं संस्कृति विभाग, तथा श्री अविनाश चन्द्र मिश्र, संयुक्त निदेशक पर्यटन एवं अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।