December 20, 2024

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मैं रेठ नदी हूं…बीकेटी की ‘जीवन रेखा’, अपने अस्तित्व को बचाने की लगा रही हूं गुहार

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लखनऊ । ‘मैं रेठ नदी हूं,एक वक्त था, जब मुझे बीकेटी तहसील क्षेत्र के गांवों की ‘जीवन रेखा’ कहा जाता था। कभी मेरा पानी इतना साफ हुआ करता था, कि मेरे ईद-गिर्द आबाद दर्जनों गांवों व बस्तियों के हजारों लोग उसे पीते थे।नहाने-धोने, मवेशियों को पिलाने और खेतों की सिंचाई के लिए मेरे पानी का ही इस्तेमाल होता था। लेकिन आज…, मैं इतनी दूषित हो चुकी हूं कि लोग मेरे पानी से हाथ धोना भी पसंद नहीं करते हैं। प्रदूषण और अतिक्रमण की वजह से आज मेरा अस्तित्व संकट में है।मैं खुद तो कुछ नहीं कर सकती हूं, हां! राजधानी के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश और क्षेत्रीय विधायक से थोड़ी-बहुत उम्मीद जगी थी, लेकिन वह भी धराशाई होती दिख रही है। इन लोगों ने मेरे सौंदर्यीकरण की बड़ी-बड़ी योजनाएं तो बनायी हैं, लेकिन वह भी दिखावे से ज्यादा कुछ नहीं है। मुझे नहीं लगता है, कि कोई मेरी पीड़ा नहीं हर पायेगा।क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का कहना है कि बीकेटी तहसील क्षेत्र की जीवन रेखा कही जाने वाली रेठ नदी का अस्तित्व आज संकट में है। इसके लिए क्षेत्रीय विधायक,जिला प्रशासन के अधिकारी,मुख्य विकास अधिकारी, खण्डविकास अधिकारी  सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।
 मालूम हो कि राजधानी के पौराणिक महत्व की रेठ नदी बीकेटी तहसील क्षेत्र के अंतर्गत कुुम्हरावां, खजुरी, बाजपुर गंगौरा, सरांवा, इंदारा और करीमनगर गांवों से होते हुए बाराबंकी के निंदूरा ब्लॉक में गोमती नदी से मिल जाती है। बख्शी का तालाब तहसील क्षेत्र में इस नदी का 8 किलोमीटर से अधिक का क्षेत्र आता है। जिम्मेदारों की उपेक्षा से इसके तटबंध और नदी मार्ग पर अवैध कब्जे हो गए हैं,और नदी एक छोटे नाले में सिमट कर रह गई है।जिसमें केवल वर्षा ऋतु के समय ही पानी का बहाव रहता है।लेकिन जिम्मेदारों की घोर लापरवाही के कारण मौजूदा समय में रेठ नदी लुप्त होने की कगार पर पहुंच गई है। रेठ नदी का पानी कहीं राजधानी के इतिहास के पन्नों की कहानी न बन जाए। यह कहना इसलिए गलत न होगा क्योंकि रेठ नदी का अस्तित्व खतरे हैं और उसे बचाने के लिए कोई ठोस कार्ययोजना प्रशासन के पास नहीं है।चार साल बाद 21 मई 2021 को इस नदी के रिवाइवल प्लान को लेकर नए सिरे से कवायद शुरू हुई थी।मनरेगा के माध्यम से जिला प्रशासन इस नदी की सूरत को संवारने जा रहा था।उस समय डीएम अभिषेक प्रकाश ने कहा था कि हर हाल में इस नदी के अस्तित्व को बचाया जाएगा।जल्द मनरेगा योजना में एस्टीमेट बनवाकर नदी के पुनरुद्धार का कार्य किया जाएगा।लेकिन दो चार दिन नदी में सफाई और खुदाई का कार्य किया भी गया।लेकिन प्रशासन की अनदेखी व लापरवाही के चलते फिर नदी के पुनरुद्धार का कार्य फाइलों में दबकर धूल फांक रहा है।
चार साल पहले  बना था प्लान
रेठ को पुनर्जीवित कराने के लिए सत्ताधारी दल के विधायकों से लेकर तत्कालीन सांसद भगवती सिंह ने भी भगीरथ प्रयास किए थे। तब उच्चाधिकारियों ने संज्ञान लेकर स्थानीय प्रशासन को नदी का रिवाइवल प्लान बनाने को कहा था। उस समय क्षेत्रीय जनता के साथ विधायकों व सांसदों ने मौके पर जाकर फावड़ा चलाया था और नदी को उसके प्राचीन स्वरूप में वापस लाने की बात कही थी। लेकिन चार साल से अधिक समय बीतने के बाद भी इस एक्शन प्लान के अनुसार आज तक कोई कार्रवाई न हो सकी है।
वर्जन-
शासन से गाइडलाइन जारी होते ही शुरू कराया जाएगा काम
रिवर में मनरेगा योजना से काम करने के लिए मनरेगा डीसी ने मना किया है।इस लिए नदी के सौंदर्यीकरण के लिए शासनादेश की मांग की गई है।गाइडलाइन जारी होते ही, नदी के सौंदर्यीकरण का कार्य शुरू करवा दिया जाएगा।

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