काशी में त्रिपुरारी के भाल लगा तीन पुरियों का गुलाल… गौरा चलीं ससुराल
1 min readतीन पुरियों (काशी, मथुरा, अयोध्या) का गुलाल त्रिपुरारी के भाल लगाकर काशीवासियों ने होली खेलने की अनुमति ली। भूतभावन शिव की नगरी काशी में रंगभरी एकादशी के साथ ही होली की मस्ती शुरू हो गई। मां गौरा के साथ जब काशीपुराधिपति गलियों में निकले तो हर-हर महादेव… के साथ ही जय श्रीराम… का जयघोष गूंजा। बुधवार को पूर्व महंत के आवास पर एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने शिव-गौरा के गौना के ठीक पहले उनके साथ होली खेली।
बुधवार को अयोध्या के कर्मकांडी ब्राह्मणों की रामभक्त मंडली और कृष्ण नगरी मथुरा कारागार के बंदियों के हाथों तैयार खास अबीर-गुलाल की बौछार के बीच गौरा ससुराल विदा हुईं। भगवान शंकर के साथ गौरी गणेश को गोद में लेकर रजत पालकी पर सवार टेढ़ीनीम स्थित पूर्व महंत के आवास से गौरा की पालकी निकली तो काशीवासियों का उल्लास अपने चरम पर था।
छतों से, बारजों से काशीवासियों ने शिव-पार्वती पर अबीर-गुलाल अर्पित कर होली उत्सव मनाया। भीड़ का आलम यह था कि महंत आवास से मंदिर के बीच की 400 मीटर की दूरी तय करने में डेढ़ घंटे का समय लग गया। सुबह दस बजे से शाम पांच बजे के बीच एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने काशीपुराधिपति की चल रजत प्रतिमा का दर्शन कर गुलाल अर्पित किए।
अयोध्या…495 साल बाद रामलला के दरबार में मनी रंगभरी एकादशी
495 साल बाद रामलला के दरबार में बुधवार को रंगभरी एकादशी पूरे शान से मनाई गई। यह पहली बार रहा जब रंगभरी एकादशी पर रामलला के दरबार में गीत-संगीत की महफिल सजी। उधर, सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी में सुबह नौ बजे विधिवत पूजन-अर्चन व शृंगार करने के बाद हनुमान जी महाराज को अबीर-गुलाल लगाया गया। महंत संजय दास के सानिध्य में हनुमान जी के निशान व छड़ी की पूजा-आरती की गई। नागा साधुओं ने हनुमंतलला को अबीर-गुलाल चढ़ाकर शोभायात्रा निकाली।
मथुरा… अबीर-गुलाल की बारिश के बीच भक्तों ने गाए होली के फाग
श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर बुधवार को अबीर-गुलाल और फागों के साथ होली मनाई गई। यहां फूलों की होली खेली गई तो चारों ओर हाइड्रोजन सिलिंडर से उड़ते गुलाल ने भक्तों को अपने आगोश में ले लिया। वहीं, द्वारिकाधीश मंदिर में राजाधिराज ने कुंज में विराजमान होकर होली खेली। बांकेबिहारी मंदिर में लाखों श्रद्धालुओं ने आराध्य के दर्शन करने के साथ ही उनके साथ होली खेली। सेवायतों ने भक्तों पर टेसू के फूलों से बना रंग बरसाया। रंग रूपी प्रसाद पाकर भक्त राधे-राधे की जयघोष करते हुए नाचने लगे।