आलू 45 रु तो प्याज 100 रु तक प्रति किलो, रसोई का बिगड़ा बजट; दिवाली के पहले राहत नहीं:-
1 min readरसोई के लिए सबसे जरूरी सामानों की लिस्ट में माने जाने वाले आलू और प्याज के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं. दाल और खाने के तेल के दाम पहले ही बढ़ चुके हैं, अब जिस तरह से इन दोनों सब्जियों के दाम बढ़ रहे हैं, इससे आम आदमी के किचन का बजट बिगड़ गया है. राजधानी दिल्ली की बात करें तो पिछले एक हफ्ते में आलू के भाव में 8 रुपये की बढ़ोतरी हुई है. प्याज के भाव भी पिछले उक हफ्ते में 8 रुपये प्रति किलो बढ़े हैं. गुरुवार को दिल्ली में प्याज 55 रुपये से 60 रुपये प्रति किलो और आलू 45 रुपये प्रति किलो के भाव पर बिका. वहीं केरल में कल प्याज का फुटकर भाव 100 रुपये के पास पहुंच गया. देश के अन्य शहरों में भी आलू प्याज 40 रुपये से 80 रुपये तक पति किलो बिक रहा है|
ग्राहकों का क्या है कहना
रसोई के बढ़ते बजट से सभी परेशान होते हैं. बाजार में सब्जी खरीदने आई एक महिला के मुताबिक आलू-प्याज की महंगाई के कारण अब इसकी खपत कम कर दी गई है ताकि बजट नियंत्रित रहे. इसके विकल्प के तौर पर वे अन्य सब्जियों का भी रुख कर रहे हैं. घर से दूर रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले एक शख्स ने बताया कि घर से सीमित खर्च मिलता है जिसके कारण आलू-प्याज की खपत कम करनी पड़ी है. ठंडियों के आते ही आलू-प्याज के पकवान बनने कम हो गए हैं|
केंद्र सरकार ने प्याज की बढ़ती कीमतों को देखते हुए प्याज के आयात नियमों में 15 दिसंबर तक ढील दी है. इसका फर्क अब दिखने लगा है. एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी नासिक स्थित लासलगांव की मंडी में नीलामी कराने वाले डचके के मुताबिक इसकी कीमतों में अब गिरावट दिखेगी क्योंकि विदेशों से प्याज आना शुरू हो गया है. उन्होंने जानकारी दी कि तुर्की से प्याज आई है. मंडी से दो दिन पहले प्याज 7812 प्रति कुंतल के भाव से निकला था, एक दिन पहले 7100 रुपये और कल 7050 रुपये प्रति कुंतल तक प्याज निकला था. इस तरह भाव अब धीरे-धीरे नीचे आ रही है|
फेस्टिव सीजन के कारण प्याज में उछाल
केंद्र सरकार ने प्याज की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए बफर स्टॉक से बाजार में आपूर्ति करने का भी फैसला लिया था. केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया का मानना है कि प्याज की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए समय पर सक्रिय हो गई है, इसलिए इसके भाव अधिक नहीं हो पाएंगे और जल्द ही नियंत्रित हो जाएंगे. उनका मानना है कि फेस्टिव सीजन के चलते प्याज में उछाल आ रही है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि किसी वायरस हमले के समय प्याज महंगी होने का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है, जैसे कि स्वाइन फ्लू या सॉर्स के समय में. केडिया ने उम्मीद जताई है कि प्याज के भाव अब और अधिक नहीं बढ़ पाएंगे.
प्याज का उत्पादन पर्याप्त
कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग की वेबसाइट के मुताबिक 2018-19 में प्याज का उत्पादन 2.28 करोड़ टन था जो इस साल 2019-20 मंत्रालय के दूसरे अग्रिम आकलन में 2.67 करोड़ टन है. हालांकि बारिश के कारण इस बार प्याज की आपूर्ति बाधित हुई है लेकिन केडिया कमोडिटी के अजय केडिया का मानना है कि बारिश के कारण प्याज पर अब अधिक दिन प्रभाव नहीं पड़ेगा. प्याज की आपूर्ति धीरे-धीरे शुरू हो चुकी है और विदेशों से भी प्याज आ रही है.
मंडी में आलू की आवक कम
प्याज के बाद आलू की बात करें तो खुदरा दुकानकारों का कहना है कि मंडी में ही आलू की आवक कम हो रही है जिसके कारण इसके भाव में तेजी दिख रही है. इसके अलावा फेस्टिव सीजन चल रहा है और इसके पहले अधिमास भी था, जिसके कारण आलू की खपत अधिक हुई है. आलू की कीमतों में नरमी की उम्मीद दिवाली के बाद ही संभव है, जब इसकी नई फसल आएगी.
अनलॉक के दौरान रेस्टोरेंट-ढाबे खुलने से बढ़ी खपत
आजादपुर मंडी पोटैटो ओनियन मर्चेंट एसोसिएशन (पोमा ) के जनरल सेक्रेटरी राजेंद्र शर्मा का अनुमान है कि इस बार करीब 25-30 फीसदी आलू कम आ रहा है. इस समय बाजार में अधिकतर आलू दक्षिण भारत और पश्चिमी उत्तर भारत के स्टोर से आ रहा है. पंजाब से आलू बहुत कम आ रहा है. इसकी वजह से आलू की शॉर्टेज हो रही है. इसके अलावा अनलॉक की प्रक्रिया में रेस्टोरेंट और ढाबे खुल गए हैं जिससे खपत बढ़ी है|
खरीफ आलू के बाजार में आने के बाद नरमी की उम्मीद
शर्मा का कहना है कि आलू के भाव में नरमी खरीफ आलू के बाजार में आने के बाद आएगी. आलू की वर्ष में दो बार फसल आती है. खरीफ आलू की बुवाई मई से जुलाई के बीच होती है और उसकी फसल सितंबर से नवंबर तक आती है. इसके अलावा रबी आलू की बुवाई सितंबर के अंत से नवंबर तक होती है और इसकी फसल दिसंबर के मार्च के बीच आती है|
आलू के उत्पादन में बढ़ोतरी मामूली
कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग की वेबसाइट के मुताबिक 2018-19 सत्र में 491.74 लाख टन रबी आलू उत्पादित हुआ था जबकि इस बार 2019-20 का अनुमान 501.96 लाख टन है. खपत के मुताबिक आलू के उत्पादन में बढ़ोतरी बहुत कम है. इसके अलावा खास बात यह है कि 2018-19 में खरीफ आलू 10.16 लाख टन उत्पादित हुआ था जबकि इस बार का अनुमान 8.45 लाख टन ही है. इसलिए आंकड़ों के मुताबिक खरीफ आलू आने के बाद भी अधिक राहत की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए|