उज्जैन महाकाल मंदिर में अगले महीने से बदलेगा तीन आरतियों का समय, जानिये क्या है इसका महत्व :-
1 min readज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा पर 1 नवंबर से राजाधिराज महाकाल की दिनचर्या में बदलाव होगा। मंदिर की परंपरा अनुसार शीत काल में आरती का समय भी बदलेगा। पं.महेश पुजारी ने बताया कार्तिक मास से सर्दी की शुरुआत मानी जाती है। कार्तिक प्रतिपदा से फाल्गुन पूर्णिमा तक नए समय पर आरती होगी। सुबह 4 से 6 बजे तक भस्म आरती, सुबह 7.30 से 8.15 बजे तक द्दयोदक तथा सुबह 10.30 बजे से भोग आरती होगी। शाम 5 बजे संध्या पूजन होगा। शाम 6.30 से शाम 7 बजे तक संध्या आरती होगी। रात्रि 10.30 से रात्रि 11 बजे तक शयन आरती होगी। इसके बाद मंदिर के पट बंद किए जाएंगे। बता दें इन दिनों मंदिर में द्दयोदक आरती सुबह 7 से 7.45 बजे तक, भोग आरती सुबह 10 बजे से तथा संध्या आरती शाम 7 बजे से 7.30 बजे तक हो रही है|
महाकाल मंदिर में इन दिनों अग्रिम बुकिंग के आधार पर भक्तों को भगवान महाकाल के दर्शन कराए जा रहे हैं। भक्त महाकालेश्वर एप व मंदिर की वेबसाइट पर नि:शुल्क अग्रिम बुकिंग कराकर भगवान महाकाल के दर्शन कर सकते हैं। कोरोना संक्रमण के चलते भक्तों का गर्भगृह में प्रवेश बंद है। भक्तों के हार, फूल, पूजन सामग्री अर्पित करने तथा जलाभिषेक पर भी रोक लगी हुई है।
कार्तिक मास में शिप्रा स्नान व दीपदान का विशेष महत्व है। महिलाएं कार्तिक प्रतिपदा से पूर्णिमा तक एक माह सुबह 5 बजे शिप्रा स्नान करने जाती हैं। पश्चात राधा दामोदर का पूजन किया जाता है। संध्या काल में शिप्रा में दीप दान भी किया जाता है। मान्यता है इससे पितरों का मार्ग आलोकित होता है।
ब्रह्मांड के तीन पवित्र पूजा शिवलिंगों में से उज्जैन के भगवान महाकाल का सबसे बड़ा महत्व है। आकाशे तारकलिंगम, पाताल हाटकेश्रम | मृत्कलोक महाकालम, सर्वलिंगम नमोस्तुते || अर्थ ताराकलिंग पृथ्वी के ऊपर है, पृथ्वी के नीचे हाटकेश्वरलिंग और पृथ्वी पर महाकाल हैं। महाकाल की महानता सर्व व्यापी है। महाकाल संपूर्ण विश्व के प्रवर्तक हैं। ईश्वर और धर्म के प्रति हमारी आस्था का एक बड़ा कारण है महाकाल को पृथ्वी पर सर्वोच्च देवता मानना। महाकाल स्वयं काल (समय) के प्रचारक हैं। कालचक्रप्रवर्तको महाकाल प्रतापनह |
वराहपुराण इस प्रश्न के उत्तर को देता है कि महाकाल का पृथ्वी पर विकास कहाँ तक है, क्योंकि महाकाल पृथ्वी के केंद्र बिंदु (नाभि) पर निवास करते हैं जो उज्जैन है। उज्जैन के लिए श्री महाकालेश्वर सम्मान है, महाकाल की महिमा दिव्य है। शिवपुराण के अनुसार, महाकाल 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रसिद्ध हैं, क्योंकि वे स्वयं काल के अंश हैं।