रोटी बैंक – ताकि कोई भी भूखा न रहे राजकुमार भटिआ :-
1 min readअपने आप मे भूख और मुफलिसी में जीने वालों की भूख मिटाने का एक आंदोलन है जिसकी स्थापना आज से साढ़े चार वर्ष पूर्व अजादपुर मंडी के एक सफल व्यवसायी , समाजसेवी और राजनीति में भी दखल रखने वाले राजकुमार भाटिया के द्वारा की गई थी। अपने इस सफर में अब तक 18 लाख रोटी के पैकिट रोटी बैंक टीम के द्वारा जरूरतमंद भूख से त्रस्त लोगों तक पहुँचाए जा चुके हैं। वर्ष 2016 में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी भी ” मन की बात ” कार्यक्रम में रोटी बैंक के कार्य की सराहना कर चुके हैं। कोरोना संक्रमण के दौरान लॉकडाउन के पहले दिन से ही हजारों लोगों को लगातार भोजन उपलब्ध करा सराहनीय कार्य कर रहा है।
रोटी बैंक के संस्थापक राजकुमार भाटिया के साथ हुई नेशनल थाट्स चैनल के लिए विनोद शर्मा की विस्तृत बातचीत
प्रश्न 1 : रोटी बैंक की स्थापना की प्रेरणा कहाँ से मिली और इसकी स्थापना कब व कैसे हुई ?
उत्तर : भूख और जरूरत हर काल मे रही है, भूख को देखकर अगर कोई व्यक्ति द्रवित न हो या संवेदनशीलता न जागे तो उसके इंसान होने का कोई फायदा नही है। ऐसा ही एक वाक्या जून 20I15 में मेरे साथ घटा आजादपुर मंडी में जहाँ मैं कार्य करता हूँ। एक व्यक्ति काम लेने आया और उसने काम माँगा चूँकि हमारे यहाँ परमानेंट लेबर होती है तो मैने उसे काम देने से मना कर दिया और वो निराश हो गया। मुझे लगा कि इसकी कुछ सहायता करनी चाहिए , मैंने जेब से कुछ पैसे निकाल उसे देने चाहे उसने स्प्ष्ट मना कर दिया! उसने कहा कि ” अगर आप सहायता ही करना चाहते हो तो उसे खाना खिला दीजिए , मैंने दो दिन से खाना नही खाया है।
बस यहीं से ” रोटी बैंक ” की आधारशिला थी। मुझे लगा कि भूख की जरूरत पूरी होते ही इंसान सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है और अपने काम पर निकल पड़ता है। मैंने वहीं एक वेंडर से उसे खाना खिलवाया। खाना खाते समय उसकी आंखों में जो चमक थी , उसे मैं देख रहा था। मैंने उसी दिन अपने कुछ साथियों से चर्चा की कि हम कुछ जरूरतमंद लोगों को खाना खिला ही सकते हैं , जिस पर वो सभी सहमत हो गए। अगले दिन मेरे सभी साथी सुधीर , सोनिक , राजू नारंग, विपुल , राजकुमार बत्रा अपने अपने घर से रोटी के पैकेट लेकर आए। हमने एक चीकू के खाली बॉक्स में ये रोटी के पैकेट रख दिए और उस बॉक्स पर पेन से लिख दिया ” रोटी बैंक ” वह दिन था 23 जून 2015 बस यही कहानी है रोटी बैंक और उसके स्थापना की।
प्रश्न 2 : बाद में रोटी बैंक का सफर किस प्रकार आगे बढ़ा जो आज एक विशाल स्वरूप लिए हुए है ?
उत्तर : रोटी बैंक जब शुरू हुआ तो जो आज इसका स्वरूप है वो हम किसी के दीमाग में नही था। जैसा पूर्व में बताया कि हम सब लोगों ने अपने अपने घर से पैकेट लाने शुरू किए तो वो 60 पैकेट हमारी प्रेरणा बने। ये सँख्या 70 भी हुई और 30 भी हुई क्योंकि इस काम मे निरंतरता चाहिए थी जो सबके बस की बात नही थी। बाद में हमारे देखा देखी मंडी के कुछ आढ़ती , कामगारों और मजदूर तक भी रोटी के पैकेट लाकर रखने लगे। इस प्रकार 150 पैकेट प्रति दिन आने लगे। बाद में आजादपुर सब्जीमंडी में हमारे साथी राजू कोहली ने भी एक सेंटर खोला जहाँ पर भी 100-150 पैकेट आने लगे। बाद में हमे कुछ RWA का भी सहयोग मिला जो अपने यहाँ रोटी पैकेट कलेक्शन के लिए बॉक्स रखे जिसमे उनके सदस्य रोटी के पैकेट रखने लगे और इस तरह से थोड़े ही समय मे ही दिल्ली में करीब 30 सेंटर पर सहयोग आरम्भ हो गया।
इस तरह आस पडौस के क्षेत्रों में जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाई जाने लगी। इसी दौरान हमारी बात शालीमार बाग स्तिथ मॉर्डन पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्या जी से बात हुई और उन्हें रोटी बैंक का कॉन्सेप्ट बहुत पसंद आया और उन्होंने अपने स्कूल के बच्चों के माध्यम से सहयोग की बात रखी। उस स्कूल में करीब 3000 छात्र छात्राएं थी। उन्होंने एक योजना बना अलग अलग कक्षा व उनके सेक्शन वाइज सहयोग दिलवाना शुरू किया। निरंतर रोटी बैंक में सहयोग के लिए कई स्कूल व उत्तर पश्चिम दिल्ली क्षेत्र में काफी सेंटर बढ़ चुके थे। अक्टूबर 2015 में रेडियो FM 92.5 पर ऋचा अनिरुद्ध ने रोटी बैंक के कार्य को सराहते हुए ” बिग हीरोज आफ दिल्ली ” के सम्मान से नवाजा और हमारे काम को बढ़ावा दिया। बाद में वर्ष 2016 में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने मुखारविंद से रोटी बैंक के कार्य की ” मन की बात ” कार्यक्रम में सराहना की जिससे हमारे काम को और गति मिली। दिल्ली NCR व अन्य राज्यों में हमारे सेंटरों की संख्या 65 तक हो गई थी। लाकडाउन से पहले हमारे 53 सेंटर सक्रिय रूप से कार्य कर रहे थे जिनमे 13 स्कूल भी हैं जो हमारे साथ रोटी के पैकेट दे जरूरतमंदों के लिए सहयोग कर रहे थे।
प्रश्न 3 : रोटी बैंक किस तरह और किन लोगों तक रोटी के पैकेट पहुँचा रहा है ?
उत्तर : आज दिल्ली में कुल 53 सेंटर सक्रिय हैं जहाँ से प्रतिदिन हमे 3500-4000 हजार पैकेट पिछले साढे चार साल से प्राप्त हो रहे हैं। इन वर्षों में करीब 18 लाख रोटी के पैकेट वितरण करने का सौभाग्य ईश्वर की कृपा से हमे अपने सहयोगियों के माध्यम से प्राप्त हुआ है।
आजादपुर मंडी एक बड़ा व्यवसायिक केंद्र है। करीब 1000 पैकेट प्रतिदिन यहीं पर कूड़ा बिंघने आने वाले , मजदूर , निरीह प्राणी , ऐसे श्रमिक जिनकी दिहाड़ी नही बनी या जिन्हें काम नही मिल पा रहा उन जरूरतमंदों को वितरित हो जाते है। इसके अलावा हमारे द्वारा हमारे वॉलिंटियरों के द्वारा आस पास व दूर के लिए मोटरसाइकिल से चिन्हित स्थानों पर ये रोटी के पैकेट कूड़ा बींघने वाले बच्चों , रेहड़ी रिक्शा खींचने वाले , बेसहारा बेघर लोग , बुजुर्ग आदि जरूरतमंद लोगों को भोजन उनके स्थल तक सम्मान पहुँचवाते हैं।
एक बात यहाँ बतानी आवश्यक है कि नशेड़ियों को हम यह भोजन पैकेट बिल्कुल भी नही देते क्योंकि इससे उनकी मूवमेंट कम हो जाती है इसके अलावा कुछ जगह पर स्थाई भिखारी जिनका उद्देश्य रोटी पाना नही है बल्कि जो पैसे के लिए भीख मांगते हैं , उन्हें हम ये भोजन नही देते। इसके अलावा जहाँगीर पूरी के प्रयास बाल गृह केंद्र पर भी मांगें जाने पर रोटी के पैकेट उपलब्ध करवाते रहते हैं। दिल्ली का एम्स हॉस्पिटल में इलाज के लिए आए हुए गरीब मरीज के तीमारदारों को भी ये भोजन के पैकेट उपलब्ध कराने का कार्य हमारे द्वारा शुरू किया गया था जिससे उन्हें पेट की भूख मिटाने के साथ साथ भोजन के खर्चे से बचने में मदद मिली अब तो वहाँ काफी रसोई भी सेवा देने लगी हैं।
प्रश्न 4 : रोटी बैंक जो एक विशाल स्वरूप ले कार्य कर रहा है तो इसे अपनी गतिविधियों को चलाने के लिए आर्थिक जरूरत पूरी कैसे कर रहा है ?
उत्तर : रोटी बैंक इससे जुड़े हमारे सेंटर व अन्य स्वयंसेवकों की मदद से चलाया जा रहा है जो निस्वार्थ भावना से अपनी स्वेछिक सेवाएं देते हैं। रोटी के पैकेट हमे अपने सेंटरों से प्राप्त होते हैं और हमारे वॉलिंटियर अपनी मोटरसाइकिल आदि साधनों से जरूरतमंद तक पहुंचाते हैं। एक टीम भावना के तहत टीम वर्क के द्वारा हम आगे बढ़ रहे हैं। इस कार्य के लिए सरकार या अन्य लोगो से कोई अनुदान लिए बिना ही हम अपने सहयोगियों के माध्यम से इस कार्य को संचालित कर रहे हैं।
हाँ विगत कुछ समय से यदि कोई स्वेछिकता से अपने जन्मदिन , वैवाहिक सालगृह , अपने बड़े बुजुर्गों की स्मृति में भोजन के पैकेट उपलब्ध कराते हैं तो हम सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं। अगर कोई खुद पैकेट तैयार नही करवा पाता , तो उसके पूछने पर हम वेंडर से सम्पर्क करा देते हैं। इस प्रकार वेंडर को रोजगार भी मिल रहा है , दान भावना के साथ सहयोग की भावना भी बनी हुई है , रोटी बैंक का काम भी चल रहा है और जरूरतमंद की जरूरत पूरी हो रही है। कुछ लोग कहते हैं कि रोटी बैंक राजकुमार भाटिया का है , उन सभी को मैं यह कहना चाहता हूँ कि रोटी बैंक सभी सहयोगियों का है। मैं तो केवल निमित मात्र हूँ यह सब ईश्वर कृपा से ही सम्भव है।
प्रश्न 5 : कोविड 19 (कोरोना) संक्रमण के चलते लॉकडाउन में आप किस तरह से रोटी बैंक को संचालित कर पा रहें हैं ?
उत्तर : देखिए पुराने लोगों तक तो भोजन पहुँच ही नही पा रहा है क्योंकि लोग काम पर आ ही नही रहे है। प्रथम लाकडाउन पर जब प्रधानमंत्री जी ने टी वी पर बात करते हुए कहा कि लाकडाउन की लड़ाई लंबी चलेगी और हम सभी को मिलकर लड़नी पड़ेगी। तभी हमने रोटी बैंक टीम ने आपस मे सम्पर्क कर तय कर लिया था कि आने वाले समय मे रोटी बैंक की जरूरत ज्यादा पैदा हो सकती है। तब किसी को भी नही पता था कि आगे क्या होगा ? लाकडाउन में प्रवासी मजदूरों के पैदल ही अपने गृह राज्य की ओर पलायन के कारण दिल्ली में स्तिथि बहुत ही गम्भीर हो गई थी। मजदूर भूखे प्यासे सड़को पर निकल पड़े थे तब 27 , 28 और 29 मार्च को एक बार फिर रोटी बैंक उठ खड़ा हुआ और अपने इन मजदूर प्रवासी भाई बहनों के लिए भोजन के पैकेट तैयार करवा दिल्ली पुलिस , सिविल डिफेंस, दिल्ली प्रशासन , स्वयंसेवको व अपने वॉलिंटियर के सहयोग से खाना खिलाना शुरू किया।
लाकडाउन के शुरूआती चार पाँच दिन में तो समझ ही नही आया कि लाकडाउन कैसे पूरी होगी? लेकिन बाद में अलग अलग जगह से लोगों के फोन आने शुरू हुए कि खाना नही है , राशन नही है , लोग भूखे हैं …. तब उसी समय रोटी बैंक की टीम को त्वरित उसी समय आजादपुर मंडी में बंद एक ढाबे में रोटी बैंक की रसोई शुरू की। आजादपुर मंडी में होने के कारण सब्जी राशन आदि की सहयोग से व्यवस्था होने लगी और प्रतिदिन 3000 रोटी के पैकेट तैयार करवा आजादपुर , जहाँगीरपुरी , व अन्य क्षेत्रों सहित सेवा बस्तियों में सड़क किनारे पटरियों पर रह रहे लोगों तक जो अपना रोजगार खो चुके थे उन सभी जरूरतमंद लोगों तक ये भोजन के पैकेट सरकार, दिल्ली पुलिस , स्वयंसेवको और हमारे वॉलिंटियर के माध्यम पहुंचाए जाने लगे। इन दिनों में भूख और वेदना को बड़े नजदीक से देखने का अवसर मिला।
प्रश्न 6 : कोरोना वायरस एक संक्रमण की बीमारी है जो व्यक्ति से व्यक्ति में फैलती है तो रोटी बैंक की टीम किस तरह से सावधानी बरत कर अपना कार्य कर रही है ?
उत्तर : हमारे सभी वॉलिंटियर पूरी तरह से एहतियात बरत अपनी जिम्मेदारी को निभा रहे है। रसोई की शुरुआत के पहले दिन से ही हम सोशल डिस्टेंस का पूरा ध्यान रख रहे हैं। पहले दिन से हर कार्यकर्ता के लिए ये जरूरी था कि वो हेड केप , हाथों में दस्ताने, मॉस्क व चश्मा पहनकर रखे। हर टीम का काम बटा हुआ है। खाना बनाने व पैकिंग वाली टीम अलग है जो पूरी तरह से सफाई के साथ सुरक्षा का ध्यान रखते हुए कार्य करती है। वितरण की हमारी टीम के जिम्मे पैकिट वितरण की सँख्या तय है जो घर घर जाकर परिवार के सदस्यों की सँख्या अनुसार उन्हें पैकेट की थैली पहुंचाते हैं और घर घर जाकर भोजन देने के कारण सोशल डिस्टेंस का स्वतः ही पॉलन हो जाता है। आजादपुर और जहाँगीरपुरी में जब बहुत ज्यादा संक्रमण के केस आए और पूरा एरिया हॉटस्पॉट में बदल गया तो हमने अपने वॉलिंटियर को PPE किट भी पहनने को दी। हमारे सभी कार्यकर्ता खुद भी जिम्मेदारी को समझ पूरी सुरक्षा के साथ अपने कार्य को बखूबी निभा रहे हैं। और मेरा ये मानना है कि अच्छे कार्य मे ईश्वर का भी पूरा आशीर्वाद मिलता है ही।
प्रश्न 7 : लॉकडाउन तीन के समाप्त होते होते अभी भी अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है और मजदूर अपने गृह राज्यों की ओर पैदल ही सड़क पर पलायन करते हुए दिख रहे हैं , रोटी बैंक इन सब के लिए अलग से क्या कर रहा है ?
उत्तर : एक बार फिर मन को बहुत ही कष्ट देने वाला मंजर हम दिल्ली से होकर जाने वाले रास्तों पर देख रहे है। अभी पिछले चार पाँच दिनों में जब प्रवासी मजदूरों ने पलायन शुरू किया हुआ है , रोकने पर भी वो नही रुक पा रहे हैं। सरकारों ने कितना इंतजाम किया हुआ है , मुझे इस विषय पर नही जाना है। लेकिन रोटी बैंक टीम इस घड़ी में भी अपने काम को बहुत अच्छे तरीके से कर रही है। हम प्रतिदिन 3000 पैकेट भुने हुए चने के जिसमे गुड़ की छोटी छोटी टुकड़ियां डली हुई, पानी , दुध आदि उन्हें दे रहे हैं ताकि रास्ते मे इनके काम आ सके। हमारे द्वारा यह सब व्यवस्था मुकुंदपुर चोक , बुराड़ी चोक व जी टी करनाल रोड पर की हुई है।
प्रश्न 8 : लॉकडाउन चार शुरू होने वाला है दिल्ली में लगातार संक्रमण के केस भी तेजी से बढ़ रहे हैं इन सब परिस्तिथियों को देखते हुए रोटी बैंक की आगे क्या भूमिका रहने वाली है?
उत्तर : रोटी बैंक लॉकडाउन के पहले चरण से ही अब तक अपने संकल्प के साथ पूरी ताकत से अपने सहयोगियों के सहारे रोटी बैंक के ब्रह्म वाक्य ” ताकि कोई भी भूखा न रहे ” सार्थकता के साथ निर्वाहन कर रहा है। पिछले 50 दिनों में हम एक लाख पाँच हजार रोटी के पैकेट जरूरतमंदों तक पहुँचा चुके हैं हालांकि ऐसे वक्त में सँख्या कोई मायने
नही रखती।
प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि ” स्तिथियाँ कुछ भी हों, उन्हें अवसर के रूप में देखना चाहिए ” लेकिन ऐसे अवसर बार बार न आएं मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ। आज के लाकडाउन के बाद कुछ छूट मिलने की उम्मीद है। शायद कुछ लोग अपने कामों पर जा पाएंगे और उन्हें रोटी की जरूरत अपने घर पर ही पूरी हो जाए ऐसी मेरी ईश्वर से प्रार्थना है। लेकिन फिर भी हर परिस्तिथि को चुनोती मानते हुए बिना भय के सावधानियां बरतते हुए रोटी बैंक की पूरी टीम इस कार्य को बखूबी निभाएगी। लाकडाउन और उसके बाद भी जहाँ तक हमारी पहुँच हो पाएगी और ईश्वर हमे सामर्थ्य देगा हर जरूरतमंद को भूख के साथ रहने या सोने नही देंगे ये रोटी बैंक टीम का कृत संकल्प है।
प्रश्न 9 : आजादपुर मंडी एशिया की सबसे बड़ी फल व सब्जी मंडी है। कोरोना संक्रमण से यह भी नही बच पाई
उत्तर : कोरोना संक्रमण किसी भी सरकार व प्रशासन के लिए एक अलग तरीके का अनुभव था, इसके लिए कोई भी तैयार नही था। अजादपुर मंडी ए पी एम सी अजादपुर के अन्तर्गत आती है। इसके द्वारा शुरुआती दौर में जो भी साधन संसाधन उपयोग करते हुए सावधानिया बरती उसमें सफलता नही मिल पाई। उस समय एक पैनिक का माहौल था लोग भी ज्यादा करीब तीस हजार से चालीस हजार के करीब आ रहे थे , इनमें कौंन बीमार है ये पता ही नही चल पा रहा था। इस बीच प्रशासन जितना भी कर पाया उस बीच संक्रमण अपने पैर पसार चुका था। करीब तीस से भी ज्यादा व्यापारी व मजदूर संक्रमित हो चुके थे। दुर्भाग्यवश दो व्यापारियों की अजादपुर मंडी और दो व्यापारीयों की अन्य मंडी में मृत्यु हुई, भगवान उनकीं आत्मा को शान्ति दे। एक बात अवश्य कहना चाहूंगा कि अगर दिल्ली सरकार शुरुआती दौर में थोड़े अच्छे ढंग से प्रयास कर लेती तो इन सबसे बचा जा सकता था।
दिल्ली की जनता से कहूँगा कि फल और सब्जियों को खाते समय घबराएं नही। इनको उपयोग करने से पहले दो घण्टे धूप में रखें , सब्जियों को पाइप से अच्छी तरह धो लें , फिर पानी मे थोड़ा नमक डाल दो ढाई घण्टे भीगी रहने दें फिर साफ पानी मे धो 24 घण्टे बाद उपयोग करें। अच्छी तरह से पका कर खाएं।
मैने खुद भी मंडी प्रशासन को इस सम्बंध में लिखा भी है कि जल्द से जल्द सरकारी या समकक्ष एजेंसी से एक अध्धयन रिपोर्ट बनवाएं ताकि हमे पता चल सके कि फल सब्जी , पेकिंग मेटेरियल , पन्नी , बॉक्स , पेटी आदि पर ये संक्रमण कैसे कार्य करता है ताकि बचाव हेतु आम जनता भी जागरूक हो बचाव कर सके साथ ही व्यापारी भी सावधानी पूर्वक अच्छे ढंग से बचाव के सभी मापदंड का पालन कर सकें।
प्रश्न 10 : संक्रमण , लाकडाउन व इन सभी से उतपन्न समस्याओं के कारण हर आम व्यक्ति परेशानी में है। इस पर आप आम दिल्ली सहित आम जनता को क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
उत्तर : देखिए परेशानी तो सबके लिए लिए है जिसका जितना बड़ा दायरा है , उसके लिए उतनी बड़ी परेशानी है। अब तो केवल एक ही ब्रह्म वाक्य रह गया है क्योंकि सरकारों ने मान लिया है कि जब तक वैक्सीन न बन जाए तब तक कोरोना समाप्त होने वाला नही है। कोरोना के साथ जीने की बात भी हो रही है। सरकारें कितनी जिम्मेदारी से अपना कार्य करेंगी ? ये एक अलग विषय है। लेकिन मेरा दिल्लीवासियों सहित सभी को एक सन्देश है कि ” डरिए नही लड़िए ” भयभीत होने की जरूरत नही है इससे सावधानी बरतते हुए आयुष मंत्रालय और मेडिकल साइंस द्वारा बताई गई सभी बातों का पॉलन करिए। इन सभी को अपनी आदत बना लीजिए। बार बार हाथ धोना , गर्म पानी पीना , सेनेटाइजर का उपयोग , मॉस्क पहनना , गमछे का इस्तेमाल करना , चेहरे को न छूना , किसी भी सतह को छूने से बचना , योग , व्यायाम करना , इम्युनिटी बढाने का ध्यान रखना शुद्ध भोजन करना , अच्छी नींद लेना आदि आदि को अब आदत में शुमार करना होगा।
प्रश्न 11 : अंत मे नेशनल थाट्स की ओर से रोटी बैंक व आपको शुभकामनाएँ देता हूँ व हमसे बातचीत के लिए समय निकालने के लिए धन्यवाद ।
उत्तर : नेशनल थाट्स की पूरी टीम व आपका आभार प्रकट करता हूँ क्योंकि इस कार्य को भले ही प्रचार की जरूरत न हो लेकिन इस कार्य से जितने भी लोग प्रेरित होंगे वो हमारे लिए गौरव की बात होगी। रोटी बैंक कोई एक संस्था नही है बल्कि एक आंदोलन है और इस आंदोलन को आगे बढाने में अपना जो सहयोग दिया उसके लिए आभार प्रकट करता हूँ।