ग्वालियर विनम्र व्यक्ति ही मुक्ति के पथ पर आगे बढ़ पाता है: मुनिश्री प्रतीक सागर :-
1 min readविनम्रता से जीवन महान बनता है। विनम्र व्यक्ति ही मुक्ति के पथ पर आगे बढ़ पाता है। विनम्रता जीवन की सफलता की कुंजी है। धर्म हमें विनम्रता का पाठ सिखाता है। करूणा, दया, वात्सल्य में सभी गुण विनम्रता के साथ विकसित होते हैं। जो व्यक्ति विनम्र है, वह ही आगे जाकर सफलता को छू जाता है। जिसमें इसका अभाव होता है, वह आगे जाकर कुछ कर नहीं पाता। यह विचार मुनिश्री प्रतीक सागर महाराज ने रविवार को सोनागिर स्थित आचार्यश्री पुष्पदंत सभागृह में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
मुनिश्री ने कहा कि जीवन क्षण भंगुर है। इस शरीर में अधिक से अधिक परमार्थ के कार्य कर लेना चाहिए। आत्मा अनादिकाल से संसार सागर में भटकती रहती है। मनुष्य योनी ही वह चौराहा है जहां से वह मुक्ति के द्वार खोल सकती है। मुनिश्री ने कहा कि आज का मनुष्य करना सबकुछ चाहता है, लेकिन करता कुछ नहीं है। हर व्यक्ति को सुख सुविधाएं चाहिए, लेकिन उसे हासिल करने के लिए मेहनत करना नहीं चाहता। मुनिश्री ने कहा कि जीवन में सुधार करना है तो साधना करनी पड़ेगी। व्यक्ति हताश और अफसोस अधिक करता है, जबकि भविष्य में आगे बढ़ने के लिए यह दोनों हानिकारक हैं। धर्म के साधन से जीवन वातावरण सही रहता है।
108 मंडली भक्तांमर महा विधान की पत्रिका विमोचित
चातुर्मास समिति के प्रचार संयोजक सचिन जैन ने बताया कि आचार्यश्री धर्मभूषण सागर महाराज एवं मुनिश्री प्रतीक सागर महाराज के सानिध्य में जैन सिद्धक्षेत्र सोनागिर तीर्थ में 22 नवंबर को 108 मंडली भक्तांमर विधान एवं पिच्छी परिवर्तन समारोह होने जा रहा है। रविवार को कार्यक्रम की पत्रिका का विमोचन किया गया।