पिता का इतना सामर्थ्य नहीं था कि वह उसे लाखों रूपये की कीमत वाली राइफल खरीद कर दे सके। मगर इस प्रतिभाशाली युवती ने किराए की राइफल से शूटिंग गेम की प्रेक्टिस शुरू की। एक दफा ऐसी दुविधापूर्ण स्थिति भी आई जब मैच से तुरंत पहले उसे किराए की राइफल भी नसीब नहीं हो पाई।
मजबूरी के चलते उसे किसी अन्य खिलाड़ी की राइफल मांगकर मैच खेलना पड़ा। नतीजा, काजल वैसा प्रदर्शन नहीं कर पाई, जिसकी वह खुद उम्मीद कर रही थी। इस युवा राइफल शूटर ने हिम्मत नहीं हारी और वह जज्बे के साथ संघर्ष के पथ पर आगे बढ़ती रही।
आखिरकार, उसने कतर की राजधानी दोहा में हाल ही में सम्पन्न हुई 14वीं एशियन शूटिंग चैंपियनशिप के प्रोन तथा 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन (टीम इवेंट) में क्रमशः गोल्ड व कांस्य पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा तो मनवाया ही, साथ ही साथ विपरित परिस्थितियों में आगे बढ़ने की एक नई मिसाल भी कायम की।
हम बात कर रहे हैं राइफल शूटर काजल सैनी की, जो एशियन चैंपियनशिप के बाद आगामी एक दिसम्बर से नेपाल में होने जा रहे साउथ एशियन गेम्स हेतु इन दिनों तुगलकाबाद स्थित डा करणी सिंह शूटिंग रेंज में प्रेक्टिस कर रही है।
काजल के पिता विजय सैनी कनाट प्लेस स्थित फायर बिग्रेड ऑफिस में कार्यरत हैं।वे अपनी बेटी को टाॅप क्लास शूटर बनाने के लिए अपने बूते से बाहर जाकर उसे हर संभव सुविधा प्रदान करने की कोशिश कर रहे हैं।
गोल्ड मेडल जीतने तक काजल का सफर आसान नहीं रहा..
विजय सैनी, जो मूलतयाः हरियाणा के रोहतक शहर से संबंध रखते हैं, ने बताया कि कालेज स्तर से लेकर एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने तक काजल का सफर आसान नहीं रहा।यह पोजीशन हासिल करने के लिए न केवल उनकी बेटी, बल्कि परिजनों ने भी अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा हैं।
चूंकि 50 मीटर राइफल शूटिंग की प्रेक्टिस के लिए हरियाणा में कोई रेंज नहीं है इसलिए काजल चार साल पूर्व दिल्ली अपने मामा के घर नजफगढ़ आ गई थी ताकि वह हर रोज तुगलकाबाद शूटिंग रेंज में जाकर अपनी प्रेक्टिस कर सकें। वह अल सुबह डीटीसी की बस में नजफगढ़ से तुगलकाबाद के लिए रवाना होती और देर शाम को घर वापस लौटती थी।
नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में चार गोल्ड, जीत कर मनवाया लोहा…
सैनी ने बताया कि तुगलकाबाद में प्रैक्टिस करने के बाद काजल के खेल में धीरे-धीरे सुधार आता गया और उन्होंने साल 2017 व 2018 में केरल में हुई नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में 9 मेडल, जिनमें चार गोल्ड मेडल शामिल थे, जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनावाया। चूंकि किराए की राइफल के बार-बार बदलने से काजल को खेलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था, इसलिए साल 2017 में उन्होंने अपने रिश्तेदारों से पैसे उधार मांगकर काजल के लिए एक नई राइफल खरीदी ताकि वह बगैर किसी व्यवधान के अपनी प्रैक्टिस कर सकें। उन्होंने बताया कि इसी नई राइफल से काजल ने जयपुर में हुई ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल जीता। इस प्रदर्शन के आधार पर उनका चयन मलेशिया में हुई वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स के लिए हुआ, जहां मामूली अंतर से वह पदक जीतने से चूक गई।
पिता ने सैलरी का ज्यादातर हिस्सा मेरी ट्रेनिंग पर खर्च किया
काजल ने बताया शूटिंग गेम महंगा होने की वजह से उन्हें अनेक बार परेशानियों को सामना करना पड़ा, क्योंकि उनके पिता की इनकम इतनी नहीं थी कि वे उसे खेल से जुड़ी तमाम तरह की सुविधाएं मुहैया करवा सके। बावजूद इसके उन्होंने अपनी सैलरी का ज्यादातर हिस्सा मेरी ट्रेनिंग पर खर्च किया। आज जब भी वह अपने शुरुआती दौर को याद करती है तो उन्हें विश्वास नहीं होता कि किराये की राइफल और किट के साथ प्रेक्टिस कर उसने एशियन चैंपियनशिप में मेडल जीतने में कामयाबी अर्जित की है।
NCC कैम्प में शूटिंग की एक प्रतियोगिता से शुरु हुआ सफर…
इस प्रतिभावान खिलाड़ी ने बताया शूटिंग गेम में उनका पदार्पण चार साल पूर्व संयोग से उस समय हुआ जब वह बीएससी द्वितीय वर्ष के दौरान एनसीसी की कैडेट थी। एनसीसी कैम्प में शूटिंग की एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें उसने पहला स्थान हासिल किया।, इसके बाद मेरी प्रतिभा को देखते हुए एनसीसी कैम्प इंचार्ज ने मेरे पिता को मुझे शूटिंग गेम में करियर बनाने की सलाह दी।
उसके बाद से ही मैंने शूटिंग को अपने जीवन में आत्मसात कर लिया। मेरे लिए इस गेम में आगे बढ़ना आसान नहीं था क्योंकि मेरे परिवार के किसी भी सदस्य न तो इस गेम को कभी खेला है और न ही इस गेम के बारे में कोई नाॅलिज ही थी। बावजूद इसके, न मेरे परिजन और न ही मैंने कभी हौंसला हारा और तमाम मुश्किलों के बावजूद अपने आगे बढ़ती रही।
एशियन मेडल जीतने के बाद अब उनका लक्ष्य वर्ल्ड कप व ओलंपिक में मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करना है। काजल की इस कामयाबी से दिल्ली में रह रहे सैनी समाज के लिए लोग गदगद हैं।वे 23 नवम्बर को नजफगढ़ में काजल का अभिनंदन व सम्मान समारोह आयोजित करने जा रहे हैं। इस समारोह में दिल्ली के परिवहन एवं पर्यावरण मंत्री कैलाश गहलोत के साथ-साथ स्थानीय राजनीति व खेलों से जुड़ी अन्य शख्सियतों के भाग लेने की संभावना है।