बड़ी खबर:- मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आंतकी हमले में दी आने वाले शहीदों को दी श्रद्धांजलि
1 min read6 नवंबर 2008 को आतंकियों ने मुंबई के ताज होटल सहित 6 जगहों पर हमला कर दिया था. हमले में करीब 160 लोगों ने अपनी जान गंवाई. सबसे ज्यादा लोग छत्रपति शिवाजी टर्मिनस में मारे गए. जबकि ताजमहल होटल में 31 लोगों को आतंकियों ने अपना शिकार बनाया.आतंकियों से लड़ते हुए अपनी जान कुर्बान कर दी थी.
2008 को लगभग 60 घंटों तक सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ में करीब 160 लोगों की जानें गईं. लेकिन इस अचानक हुए हमले को भी हमारे देश के वीरों ने काबू में कर लिया. ऐसे ही एक वीर थे तत्कालीन एटीएस (ATS) चीफ हेमंत करकरे. जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए आतंकियों का सामना किया और लोगों को बचाते हुए शहीद हो गए. करकरे अपने घर पर रात 9.45 बजे खाना खा रहे थे. इस दौरान छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर आतंकी हमले की खबर उन्हें फोन से मिली. उन्होंने टीवी देखा तो उन्हें समझ आ गया कि यह मामला गंभीर है. वे उसी समय अपने ड्राइवर और बॉडीगार्ड के साथ सीएसटी के लिए रवाना हो गए. वहां पहुंचने के बाद वे आतंकियों को खोजने के लिए स्टेशन पहुंचे लेकिन वहां पर कोई नहीं था. इसके बाद वे कामा हॉस्पिटल की तरफ बढ़े. इस दौरान सेंट जेवियर्स कॉलेज के पास एक पतली गली में आतंकियों ने एके-47 से उनकी गाड़ी पर ताबड़तोड़ फायरिंग की जिसमें हेमंत करकरे सहित अन्य पुलिसकर्मी भी शहीद हो गए. करकरे की वीरता के लिए उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया.
26 नवंबर 2008 को लगभग 60 घंटों तक सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ में करीब 160 लोगों की जानें गईं. लेकिन इस अचानक हुए हमले को भी हमारे देश के वीरों ने काबू में कर लिया. ऐसे ही एक वीर थे तत्कालीन एटीएस (ATS) चीफ हेमंत करकरे. जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए आतंकियों का सामना किया और लोगों को बचाते हुए शहीद हो गए. करकरे अपने घर पर रात 9.45 बजे खाना खा रहे थे. इस दौरान छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर आतंकी हमले की खबर उन्हें फोन से मिली.
उन्होंने टीवी देखा तो उन्हें समझ आ गया कि यह मामला गंभीर है. वे उसी समय अपने ड्राइवर और बॉडीगार्ड के साथ सीएसटी के लिए रवाना हो गए. वहां पहुंचने के बाद वे आतंकियों को खोजने के लिए स्टेशन पहुंचे लेकिन वहां पर कोई नहीं था. इसके बाद वे कामा हॉस्पिटल की तरफ बढ़े. इस दौरान सेंट जेवियर्स कॉलेज के पास एक पतली गली में आतंकियों ने एके-47 से उनकी गाड़ी पर ताबड़तोड़ फायरिंग की जिसमें हेमंत करकरे सहित अन्य पुलिसकर्मी भी शहीद हो गए. करकरे की वीरता के लिए उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया.मुंबई में इस हमले को अंजाम देने वाला आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा था. 10 हमलावरों ने ऑटोमेटिक आधुनिक हथियार और ग्रेनेड से हमले को अंजाम दिया था. हमले के बाद एक आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया. 3 महीने में उस पर आरोप सिद्ध हुए. एक साल बाद इस हमले में शामिल डेविड कोलमैन हेडली ने 18 मार्च 2010 को अपना जुर्म स्वीकार किया. 21 नवंबर 2012 को कसाब को फांसी हुई.