अगली पीढ़ी के भविष्य के लिए जल संरक्षण जरूरी- जलशक्ति मंत्री
1 min read“क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा। पंच तत्व मिलि रचा शरीरा।। ” अर्थात बिना जल के शरीर की रचना संभव नहीं है। जब रचना ही संभव नहीं है तो जीवन का तो प्रश्न ही नहीं उठता। इसीलिए जल को जीवन कहा जाता है। उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने आज यहां तेलीबाग स्थित परिकल्प भवन स्थित सभागार में भूगर्भ जल विभाग, ग्राउंड वाटर एक्शन ग्रुप एवं वाटर एड संस्था द्वारा संयुक्त रूप से उ0प्र0 में भूगर्भ जल प्रबन्धन एवं विनियमन-वर्तमान चुनौतियों एवं भविष्य की रणनीति विषय पर आयोजित गोष्ठी एवं भूजल पर चर्चा कार्यक्रम में यह विचार व्यक्त किया। जल शक्ति मंत्री ने इस अवसर पर “जल पुस्तिका” का विमोचन किया और जल संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले वाटर चैम्पियन्स को सम्मानित भी किया।
जल शक्ति मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि जल संरक्षण के क्षेत्र में अच्छा कार्य करने वालों को सम्मानित एवं प्रोत्साहित करने की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भू-जल का दोहन हम सभी के सामने उत्पन्न हुए जल संकट का एक मुख्य कारण है। सरकार जल संरक्षण के विषय में गंभीर है और इसके संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकताओं में रखा गया है। आने वाली पीढ़ी को जल-पूरित जीवन देने के लिए जरूरी है कि भूमि के भीतर स्थित जल भंडार समृद्ध रहे और सुरक्षित रहे। हमें अपने अपने बच्चों के भविष्य के लिए जल की समस्या को अपना मान कर पूरी संवेदनशीलता के साथ दूर करने का प्रयास करना है।
जल शक्ति मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि अच्छे नेतृत्व में अच्छे कार्यों को किया जाना आसान होता है। अच्छे नेतृत्व से देश और देश की जनता खुशहाल रहती है और आज माननीय मोदी जी के नेतृत्व में देश और माननीय योगी जी के नेतृत्व में प्रदेश खुशहाली के मार्ग पर चल रहा है।
श्री स्वतंत्रदेव सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज “जल है तो कल है” की भावना को आत्मसात करते हुए प्रत्येक नागरिक को जल संरक्षण के अभियान के साथ जुड़ना पड़ेगा, उसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना पड़ेगा। जल संकट से निपटने की दिशा में “अटल भू-जल योजना” मील का पत्थर साबित हो रही है। इस योजना के माध्यम से प्रदेश के हर क्षेत्र में भूजल का संवर्धन करने व भू-जल स्तर को बनाए रखने के लिए सरकार कृतसंकल्पित है।
जल शक्ति मंत्री ने कहा कि हम सभी को एक व्यापक नीति तैयार करने की आवश्यकता है जिससे हम भूजल संसाधनों का प्रबंधन और प्रभावी संरक्षण कर सके और अपने आने वाले कल को इस गंभीर संकट से बचा सके। भूजल संरक्षण और रिचार्जिंग कार्यक्रमों को लागू करने के लिए सभी विशेषज्ञों को अपनी भागीदारी देनी चाहिए, विभाग से संबंधित लोगों को भी एक समन्वित और एकीकृत तरीके से जल प्रबंधन एवं संचय में योगदान देना होगा।
श्री स्वतंत्रदेव सिंह ने कहा कि प्रशिक्षण, प्रचार-प्रसार और जन जागरूकता के माध्यम से जन-जन को जल संरक्षण से संबंधित संदेश पहुंचाने से हम बड़े परिवर्तन ला सकते है। बांदा में ग्रामीणों द्वारा शुरू किये गए अभियान “खेत का पानी खेत में और गांव का पानी गांव में” से सकारात्मक परिवर्तन आए है। इसी प्रकार से “खेत पर मेड़ और मेड़ पर पेड़” की परंपरागत विधि से बुंदेलखंड के जल योद्धा भूजल स्तर में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं।
जल शक्ति मंत्री ने कहा कि भारत के विकास में, पानी की कमी बाधा ना बने, इसके लिए जल संरक्षण का काम करते रहना हम सभी का दायित्व है, सबका प्रयास बहुत आवश्यक है। हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के प्रति भी जवाबदेह है। पानी की कमी की वजह से हमारे बच्चे, अपनी ऊर्जा राष्ट्र निर्माण में ना लगा पाएं, उनका जीवन पानी की किल्लत से निपटने में ही बीत जाए, ये हम नहीं होने दे सकते। उन्होंने कहा कि पानी का मूल्य वो समझता है, जो पानी के अभाव में जीता है। वही जानता है कि एक-एक बूंद पानी जुटाने में कितनी मेहनत करनी पड़ती है।
सम्पर्क सूत्र: अजय द्विवेदी/अभिषेक सिंह