मार्गरेट अल्वा को विपक्ष ने बनाया उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार, जानें कौन है यह शख्सियत
1 min readउपराष्ट्रपति चुनाव के लिए NDA के बाद अब विपक्ष ने भी अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। NDA उम्मीदवार जगदीप धनखड़ के सामने विपक्ष ने उपराष्ट्रपति के लिए मार्गरेट अल्वा पर अपना दांव लगाया है। मार्गरेट अल्वा ने उत्तराखण्ड की पहली महिला राज्यपाल के रूप में काम किया है इसके आलावा वह राजस्थान की राज्यपाल भी रही हैं। बता दें कि कल शाम NDA ने अपनी तरफ से पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मैदान में उतारा है। कल बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में यह फैसला लिया गया। जिसके बाद आज विपक्ष ने भी अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी। सूत्रों के मुकाबिक विपक्ष की तरफ उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार कौन होगा इस आज विपक्षी दलों के नेताओं ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इसी बीच कांग्रेस ने विपक्ष के अन्य दलों को सूचित कर यह बताया था कि कांग्रेस अपनी पार्टी से उम्मीदवार नहीं उतारेगी।
विपक्ष की तरफ से उम्मीदवार बनाए जाने के बाद मार्गरेट अल्वा ने ट्वीट कर लिखा कि भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में नामित होना एक विशेषाधिकार और सम्मान की बात है। मैं इस नामांकन को बड़ी विनम्रता से स्वीकार करती हूं और विपक्ष के नेताओं को धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने मुझ पर विश्वास किया है। – जय हिन्द
कौन है मार्गरेट अल्वा
मार्गरेट अल्वा का जन्म 14 अप्रैल 1942 में हुआ। उन्होंने 6 अगस्त 2009 से 14 मई 2012 तक उत्तराखण्ड की पहली महिला राज्यपाल के रूप में कार्य किया। इसके साथ ही वह राजस्थान की राज्यपाल भी रहीं। वर्तमान में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की एक वरिष्ठ सदस्य और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की आम सचिव हैं।
मार्गरेट अल्वा का निजी जीवन
मार्गरेट अल्वा का जन्म 14 अप्रैल 1942 को मैंगलूर के पास्कल एम्ब्रोस नजारेथ और एलिजाबेथ नजारेथ के यहाँ हुआ था। अल्वा की पढ़ाई बंगलौर के माउंट कार्मेल कॉलेज और राजकीय लाँ कॉलेज में हुई। 24 मई 1964 में उनकी शादी निरंजन अल्वा से हुई। उनकी एक बेटी और तीन बेटे हैं। राजनीति में आने से पहले अल्वा जानी मानी एडवोकेट हुआ करती थी। एक वकील होने के साथ-साथ मार्गरेट अल्वा बहुत अच्छी पेंटर भी हैं।
मार्गरेट अल्वा का राजनीतिक सफर
मार्गरेट अल्वा कांग्रेस पार्टी की महासचिव रहीं। इसके आलावा 1974 से 2004 तक वह 5 बार सासंद भी रहीं। उन्होंने केन्द्र सरकार में महत्वपूर्ण महकमों की राज्यमंत्री के रूप में भी काम किया। सासंद रहते हुए उन्होंने महिला-कल्याण के कई कानून पास कराने में अपनी प्रभावी भूमिका अदा की। महिला सशक्तिकरण संबंधी नीतियों का ब्लू प्रिन्ट बनाने और उसे केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा स्वीकार कराये जाने की प्रक्रिया में उनका मूल्यवान योगदान रहा। केवल देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी उन्होंने मानव-स्वतन्त्रता और महिला-हितों के लिए काम किया। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ने उन्हें राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा भी। उन्होंने 6 अगस्त 2009 से 14 मई 2012 तक उत्तराखण्ड की पहली महिला राज्यपाल के रूप में कार्य किया। 12 मई 2012 से वह राजस्थान की राज्यपाल हैं।