सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अपना फैसला, और साथ ही दी लोगो को खास व्यवस्था
1 min readसुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के फैसले को दरकिनार करते हुए दुष्कर्म के आरोपी को पीड़ित महिला के साथ हुए समझौते के बाद उसपर दुष्कर्म के मामले में चल रही कार्रवाही समाप्त करने का आदेश दिया है। केरल हाईकोर्ट ने इस मामले में मामला बंद करने से इनकार कर दिया था। कोर्ट का कहना था कि सहमति से शारीरिक संबंध बनने के बाद भी यह मामला 376 के तहत ही बनता है।
सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस का ऑफिस भी आरटीआई के दायरे में रखने का फैसला सुनाते हुए ये साफ कर दिया कि जनता के प्रति उसकी जवाबदेही को नकारा नहीं जा सकता है। हालांकि कोर्ट ने यह भी माना कि आरटीआई के माध्यम से कुछ भी जानकारी नहीं दी जा सकेगी। कोर्ट का कहना था कि आरटीआई दायर करते हुए न्यायपालिका की स्वतंत्रता का ध्यान रखना होगा। इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने 10 जनवरी 2010 को दिए अपने फैसले में कहा था कि सीजेाआई का कार्यालय आरटीआई कानून के दायरे में आता है।
विधानसभा में बहुमत साबित करने का आदेश दिया बल्कि उसका लाइव टेलिकास्ट कराने तक का भी आदेश दिया। जस्टिस एन वी रमण, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की खंडपीठ ने राज्यपाल को अस्थाई अध्यक्ष की नियुक्ति करने का भी आदेश दिया। पीठ का कहना था कि सदन में कोई गुप्त मतदान नहीं होगा।