December 12, 2024

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निर्भया केस: निर्भया के दोषी विनय-मुकेश की क्यूरेटिव याचिका खारिज, फांसी का रास्ता साफ

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सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया केस मे फांसी पाए दो दोषियों मुकेश सिंह और विनय शर्मा की क्यूरेटिवि पिटिशन खारिज कर दिया है। बता दें कि दोनों दोषियों ने कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली की एक कोर्ट के डेथ वॉरंट के खिलाफ याचिका दी थी। दोनों दोषियों के पास राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल करने का विकल्प बाकी है. बाकी दो दोषियों अक्षय और पवन ने क्यूरेटिव याचिका अभी तक दाखिल नहीं की है.

निर्भया गैंगरेप केस में दो दोषियों के क्यूरेटिव पिटीशन सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन, जस्टिस आर. भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण की पांच जजों वाली पीठ विनय शर्मा और मुकेश की ओर से दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई की. पहले विनय शर्मा ने क्यूरेटिव पिटीशन दायर की थी. इसके बाद दोषी मुकेश ने भी पिटीशन दायर की थी.

क्यूरेटिव पिटीशन में दोषी विनय शर्मा ने कहा था कि अकेले याचिकाकर्ता को दंडित नहीं किया जा रहा है, बल्कि आपराधिक कार्यवाही के कारण उसका पूरा परिवार अत्यंत पीड़ित हुआ. परिवार की कोई गलती नहीं, फिर भी उसे सामाजिक प्रताड़ना और अपमान झेलना पड़ा है. वहीं, वकील एपी सिंह ने कहा कि याचिकाकर्ता के माता-पिता वृद्ध और अत्यंत गरीब हैं. इस मामले में उनका भारी संसाधन बर्बाद हो गया और अब उन्हें कुछ भी हाथ नहीं लगा है.

अब दोषियों के पास केवल एक रास्ता
क्यूरेटिव पिटिशन खारिज होने के बाद राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर किए जाने का प्रावधान है। राष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद-72 एवं राज्यपाल अनुच्छेद-161 के तहत दया याचिका पर सुनवाई करते हैं। इस दौरान राष्ट्रपति गृह मंत्रालय से रिपोर्ट मांगते हैं। मंत्रालय अपनी सिफारिश राष्ट्रपति को भेजता है और फिर राष्ट्रपति दया याचिका का निपटारा करते हैं। अगर राष्ट्रपति दया याचिका खारिज कर दें उसके बाद मुजरिम को फांसी पर लटकाने का रास्ता साफ होता है। दया याचिका के निपटारे में गैर वाजिब देरी के आधार पर मुजरिम चाहे तो दोबारा सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सकता है।

अभी दो दोषियों ने नहीं दाखिल की है क्यूरेटिव पिटिशन
इस मामले में अभी तक अक्षय और पवन की ओर से क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल नहीं की गई है। कानूनी जानकार बताते हैं कि क्यूरेटिव पिटिशन खारिज होने के बाद मुजरिमों के पास राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर करने का भी विकल्प है।

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