सलमान खुर्शीद ने भी कहा, राज्यों को CAA लागू करना ही होगा
1 min readनागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर शोर शांत नहीं हो रहा है। कांग्रेस के सलमान खुर्शीद ने रविवार को राज्य सरकार की ओर से संसद द्वारा पारित कानून को मानने से इंकार करना कठिन बताया। उन्होंने कपिल सिब्बल के बयान पर मुहर लगाते हुए कहा कि संवैधानिकता के तौर पर संसद से पारित कानून का अनुसरण करने से इंकार करना राज्य सरकार के लिए कठिन है। उन्होंने कहा, ‘संसद द्वारा पारित कानून के लिए राज्य सरकार यह नहीं कह सकता कि इसका अनुसरण नहीं करूंगा।’ उन्होंने कहा कि इस मामले पर केंद्र से राज्य सरकारों के विचार में काफी अंतर है। इसलिए हमें सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले का इंतजार करना होगा। अंतत: सुप्रीम कोर्ट निर्णय लेगा और तब तक यह प्रावधान अस्थायी है।
सलमान खुर्शीद ने कपिल सिब्बल की बातों का समर्थन करते हुए कहा, ‘संवैधानिक रूप से, राज्य सरकार के लिए यह कहना मुश्किल होगा कि हम संसद द्वारा पारित कानून का पालन नहीं करेंगे। अगर सुप्रीम कोर्ट दखल नहीं देता है तो यह कानून की किताब पर बना रहेगा। अगर कुछ कानून की किताब पर है तो आपको पालन करना पड़ेगा, नहीं तो इसके अलग परिणाम हो सकते हैं।’
पूर्व कानून एवं न्याय मंत्री ने केरल साहित्य उत्सव के तीसरे दिन कहा था, ‘जब सीएए पारित हो चुका है तो कोई भी राज्य यह नहीं कह सकता कि मैं उसे लागू नहीं करूंगा। यह संभव नहीं है और असंवैधानिक है। आप उसका विरोध कर सकते हैं, विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं और केंद्र सरकार से (कानून) वापस लेने की मांग कर सकते हैं। लेकिन संवैधानिक रूप से यह कहना कि मैं इसे लागू नहीं करूंगा, अधिक समस्याएं पैदा कर सकता है।”
केरल सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में सीएए के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया था। केरल, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों ने सीएए के साथ ही राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) का विरोध किया है।
कपिल सिब्बल ने कहा कि व्यावहारिक तौर पर ऐसा कैसे संभव है, यह उन्हें नहीं पता लेकिन संवैधानिक रूप से किसी राज्य सरकार द्वारा यह कहना बहुत कठिन है कि वह संसद द्वारा पारित कानून लागू नहीं करेगी। सीएए के विरोध में राष्ट्रव्यापी आंदोलन को ”नेता और ”भारत के लोगों के बीच लड़ाई करार देते हुए 71 वर्षीय नेता ने कहा कि भगवान का शुक्र है कि देश के ”छात्र, गरीब और मध्य वर्ग आंदोलन को आगे ले जा रहे हैं, न कि कोई राजनीतिक दल।