AAP को हुआ मुस्लिम वोटों का फायदा……
1 min readदिल्ली में पारंपरिक रूप से दो पार्टियों का बोलबाला रहा है और जाहिर है कि इस स्थिति में 2013 के चुनाव से पहले मुस्लिम वोटर कांग्रेस के साथ थे। वर्ष 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर मुस्लिम वोट कांग्रेस से शिफ्ट होकर आप के साथ चला गया। 2015 के चुनाव में यह शिफ्टिंग और बढ़ी लेकिन हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव में यह पूरी तरह से हो गया।
इसकी वजह सीएए और एनआरसी को लेकर दिल्ली में कई जगहों पर हो रहे प्रदर्शन को बताया जा रहा है हालांकि, यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि नागरकिता संशोधन कानून के खिलाफ कांग्रेस काफी मुखर रही और इसके कई नेता शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन को समर्थन देने भी पहुंचे थे। दूसरी तरफ, आम आदमी पार्टी सीएए-एनआरसी को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करने से बचती रही।
बीजेपी ने चुनाव अभियान के दौरान आप के नेताओं को शाहीन बाग पर बोलने के लिए उकसाने की भी कोशिश की लेकिन वे सतर्क रहे और इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं बोला। इससे उनको हिन्दू वोट के रूप में भी फायदा भी हुआ।
मुस्लिम वोटरों के प्रभाव क्षेत्र वाली दूसरी सीटों की भी यही कहानी है। सीलमपुर में भी सीएए और एनआरसी के विरोध में काफी तीव्र प्रदर्शन हुए। यहां से आप के अब्दुल रहमान ने बीजेपी के कौशल कुमार मिश्रा को 36, 992 वोटों से हराया। कांग्रेस के दिग्गज नेता मतीन अहमद तीसरे नंबर पर रहे। बल्लीमारान से कांग्रेस का बड़ा चेहरा हारून युसूफ मैदान में थे, लेकिन पौने पांच हजार वोट ही हासिल कर पाए।
एक और सीट मटियामहल जहां मुस्लिम वोटर हार-जीत का फैसला करते हैं, वहां कांग्रेस उम्मीदवार जावेद अली को मात्र 3400 वोट मिले मुस्लिम वोटों को ट्रेंड को समझने के लिए 2013 के चुनाव में कांग्रेस द्वारा जीती गईं आठ सीटों पर नजर डालते हैं। ओखला, बल्लीमारान, सीलमपुर, मुस्तफाबाद, चांदनी चौक और सुल्तानपुर माजरा ये ऐसी सीटें हैं, जिनका फैसला मुस्लिम मतदाता करते हैं।
इसके अलावा बादली और गांधी नगर सीट भी कांग्रेस की झोली में आई थी। वर्ष 2015 के चुनाव में इनमें से सात सीटें आप के खाते में चली गईं, जबकि मुस्तफाबाद में बीजेपी ने जीत दर्ज की और इस विधानसभा चुनाव में मुस्तफाबाद सीट भी आप के खाते में चली गई।