भोलेनाथ के प्रिय श्रावण मास को वर्ष का सबसे पवित्र महीना माना जाता: धर्म
1 min readहिंदू धर्म में सावन के महीने का बहुत महत्व है. श्रावण मास में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. शास्त्रों के अनुसार श्रावण मास भगवान भोलेनाथ को सबसे प्रिय है.
इसे मनोकामनाओं को पूरा करने का महीना भी कहा जाता है. श्रावण मास को वर्ष का सबसे पवित्र महीना माना जाता है. इस माह में सोमवार का व्रत और सावन स्नान की भी परंपरा है.
इस बार श्रावण मास की शुरूआत 6 जुलाई से हो रही है और इसका समापन 3 अगस्त को होगा. इस बार श्रावण मास पर अद्भुत संयोग बन रहा है क्योंकि सावन की शुरूआत का पहला दिन ही सोमवार है, वहीं सावन के अंतिम दिन यानी 3 अगस्त को भी सोमवार का ही दिन है.
सावन के महीने में पड़ने वाले सोमवार का बहुत महत्व माना जाता है. शिव पुराण के अनुसार जो भी इस माह में सोमवार का व्रत करता है, भगवान शिव उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. मान्यता है कि इस महीने में भगवान शिव की कृपा से विवाह सम्बंधित सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं.
श्रावण मास में बेल पत्र से भगवान भोलेनाथ की पूजा करना और उन्हें जल चढ़ाना बहुत फलदायी माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन का महीना भगवान शिव और विष्णु का आशीर्वाद लेकर आता है. माना जाता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए पूरे श्रावण मास में कठोरतप करके भगवान शिव को प्रसन्न किया था.
सोमवार का दिन शिवजी की पूजा के लिए खास माना जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार सावन के सोमवार पर शिवलिंग की पूजा करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है. कुंवारी लड़कियां मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए सावन के सोमवार का व्रत रखती हैं.
-दांपत्य जीवन की खटास दूर करने के लिए पति-पत्नी को मिलकर पूरे श्रावण मास दूध, दही, घी, शहद और शक्कर अर्थात पंचामृत से भगवान शिव शंकर का अभिषेक करना चाहिए.
– ॐ पार्वती पतये नमः मंत्र का रुद्राक्ष की माला से 108 बार जाप करें और भगवान शिव के मंदिर में शाम के समय गाय के घी का दीपक संयुक्त रूप से जलाएं.
– श्रावण मास में सुबह के समय जल्दी उठे. इसके बाद अपने स्नान के जल में दो बूंद गंगाजल डालकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें.
– पूजा की थाली में रोली-मोली, चावल, धूप, दीपक, सफेद चंदन, सफेद जनेऊ, कलावा, पीला फल, सफेद मिष्ठान, गंगा जल तथा पंचामृत आदि रखें.
– यदि संभव हो तो अपने घर से नंगे पैर भगवान शिव के मंदिर के लिए निकलें. मंदिर पहुंचकर विधि विधान से शिव परिवार की पूजा-अर्चना करें.
– गाय के घी का दीपक और धूपबत्ती जलाकर वही आसन पर बैठकर शिव चालीसा का पाठ करें और शिवाष्टक भी पढ़ें.
– अपने घर वापस आते समय भगवान शिव से प्रार्थना करें और अपने मन की इच्छा कहें.