December 18, 2024

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धोनी गेंदबाजों को खुद पर नियंत्रण करने देते थे उन्होंने उन पर भरोसा जताया था: पूर्व ऑलराउंडर इरफान पठान

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टीम इंडिया के पूर्व ऑलराउंडर इरफान पठान ने खुलासा किया कि महेंद्र सिंह धोनी ने साल 2007 में जब अपना कप्तानी कार्यकाल शुरू किया था तब वह अपने गेंदबाजों पर कंट्रोल करना पसंद करते थे, लेकिन साल 2013 तक उन्होंने उन पर भरोसा करना शुरू कर दिया था और इसी दौर में वह काफी शांत नेतृत्वकर्ता भी बन गए थे.

इरफान पठान 2007 वर्ल्ड कप विजेता टीम और 2013 चैम्पियंस ट्रॉफी जीतने वाली टीम इंडिया का हिस्सा थे और धोनी की कप्तानी में खेले थे. 35 वर्षीय इरफान ने कहा कि जैसे जैसे समय बीतता गया धोनी में कप्तान के तौर पर कई तरीकों से बदलाव हुआ.

पठान से स्टार स्पोर्ट्स के ‘क्रिकेट कनेक्टिड’ शो में धोनी के कप्तान के रूप में 2007 और 2013 के बीच बदलाव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘2007 में यह पहली बार था और जब आपको टीम की अगुआई की बड़ी जिम्मेदारी दी जाती है तो आप थोड़े उत्साहित हो जाते हो, आप इसे समझ सकते हो.’

इरफान पठान ने कहा, ‘हालांकि टीम बैठक हमेशा कम समय की होती थी, 2007 में भी और 2013 में चैम्पियंस ट्रॉफी के दौरान भी. सिर्फ पांच मिनट की बैठक.’

इस साल के शुरू में क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा करने वाले इस तेज गेंदबाज ने धोनी में एक बदलाव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘2007 में वह उत्साहित होकर विकेटकीपिंग से गेंदबाजी छोर तक भागा करते थे और साथ ही गेंदबाजों पर भी नियंत्रण करने की कोशिश करते थे, लेकिन 2013 में वह गेंदबाजों को खुद पर नियंत्रण करने देते थे. वह बहुत शांत हो गए थे.

पिछले साल वनडे वर्ल्ड कप में भारतीय टीम के सेमीफाइनल से बाहर होने के बाद से धोनी ने कोई क्रिकेट नहीं खेला है. उन्होंने 2007 से लेकर 2016 तक देश की सीमित ओवर टीम की अगुवाई की और टेस्ट क्रिकेट में 2008 से 2014 तक कप्तानी संभाली.

38 साल का यह खिलाड़ी एकमात्र कप्तान है, जिसने सभी आईसीसी ट्रॉफियां जीती हैं. उनकी कप्तानी में भारत ने 2007 टी-20  वर्ल्ड कप, 2010 और 2016 एशिया कप, 2011 वनडे  वर्ल्ड कप और 2013 चैम्पियंस ट्राफी अपने नाम की. पठान ने कहा, ‘2013 तक धोनी ने मैच जीतने के लिए मुश्किल परिस्थितियों में स्पिनरों को लगाना शुरू कर दिया था.’

इरफान पठान ने कहा, ‘2007 और 2013 के बीच उन्होंने अपने धीमे गेंदबाजों और स्पिनरों पर भरोसा करने का अनुभव हासिल किया और जब तक चैम्पियंस ट्रॉफी आई, वह बहुत स्पष्ट होते थे कि अहम मौके पर मैच जीतने के लिए उन्हें अपने स्पिनरों को लगाना होगा.’

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