October 3, 2024

Sarvoday Times

Sarvoday Times News

गैंगस्टर विकास के दर से: कानपुर मुठभेड़ टीम में नहीं शामिल हुआ था बिकरू कांड का निलंबित बीट दारोगा के. के. शर्मा

1 min read

कानपुर में कुख्यात अपराधी विकास दुबे के गुर्गों के साथ एनकाउंटर में 8 पुलिसकर्मियों के शहीद होने के बाद जांच पड़ताल जारी है.

इस पूरे मामले में पुलिस विभाग के लोगों की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है. कानपुर के आईजी मोहित अग्रवाल कह चुके हैं कि चौबेपुर थाना संदेह के घेरे में है. अब जांच पड़ताल में धीरे धीरे पता चल रहा है कि पुलिस महकमे के भीतर छिपे विकास दुबे के मददगारों की संख्या बढ़ती जा रही है.

सूत्रों के मुताबिक विकास दुबे से संबंध के शक में पूरे चौबेपुर थाने समेत करीब 200 पुलिसकर्मी शक के दायरे में हैं जिन्होंने समय समय पर या तो विकास की मदद की या उससे फ़ायदा लिया है. चौबेपुर, बिल्हौर, ककवन, और शिवराजपुर थाने के 200 से अधिक पुलिसकर्मी रडार पर हैं. इनमें से सभी वो शामिल हैं जो कभी न कभी चौबेपुर थाने में भी तैनात रहे हैं.

इन सभी के मोबाइल CDR भी खंगाले जा रहे हैं. जानकारी के मुताबिक इनमें से तमाम पुलिसकर्मी विकास दुबे के मददगार रहे थे. उसके लिए गुर्गों की तरह काम करते थे. पुलिस एसटीएफ की टीमें एक-एक बिंदुओं पर काम कर रही है.

कानपुर के बिकरू कांड में निलंबित बीट दारोगा के. के. शर्मा ने पूछताछ में बताया है कि 2 जुलाई को शाम 4 बजे विकास ने फोन पर धमकी दी थी कि थानेदार को समझा लो. अगर बात बढ़ी तो बिकरू गांव से लाश उठेंगी. बीट दारोगा ने थानेदार को सूचना देकर और बिकरू गांव की बीट हटाकर दूसरी बीट देने को कहा था.

जांच के मुताबिक दारोगा के. के. शर्मा ने बताया है कि वो विकास दुबे की धमकी से सहम गया था. इसीलिये बाद में मुठभेड़ टीम में भी शामिल नहीं हुआ.

विकास दुबे का रुतबा ऐसा था कि शिबली रोड के कई गांवों में विवाद की जांच के लिए पुलिस को विकास दूबे से मदद लेनी पड़ती थी. किसी मामले मे तहरीर मिलने के बाद बीट दरोगा और सिपाही विकास दुबे को जानकारी देते थे. अधिकतर मामले विकास दुबे अपने घर पर ही बुलाकर हल करा देता था.

बहरहाल, कानपुर कांड की मजिस्ट्रेट जांच भी शुरू कर दी गई है. एडीएम ने दस्तावेज, एफआईआर कॉपी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आदि मांगे हैं. मामले में बयान दर्ज किए गए हैं. मौके के परीक्षण के साथ ही जेसीबी चालक और बिजली काटे जाने के बिंदुओं की जांच होगी.

जांच मजिस्ट्रेट एडीएम भू/राजश्व प्रमोद शंकर शुक्ला को बनाया गया है. विकास और उसके क़रीबियों पर और कड़ी कार्रवाई होगी. विकास और उसके भाई पर कुछ और मुक़द्दमे दर्ज हो सकते हैं.

जो लोग विकास के ख़ौफ़ से अबतक हिम्मत नहीं जुटा पाए थे अब सामने आ रहे हैं. ज़मीन कब्जाने, धमकी देने के मामले सामने आ रहे हैं.

पुलिस रोज़नामचा रजिस्टर से उसके ख़िलाफ़ पहले आयी शिकायतों को भी फिर से देख रही है. सचिवालय की नीलामी में मिली कार धमकाकर लेने के मामले मे हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और उसके छोटे भाई दीप प्रकाश का गैर जमानती वारंट पुलिस लेगी.

loading...
Copyright © All rights reserved. | Newsphere by AF themes.