September 8, 2024

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राजस्थान : 247 कृषि उपज मंडियों के व्यापारियों ने मंडी बंद रखने का लिया निर्णय जाने क्या है पूरा मामला

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केन्द्र सरकार की ओर से गत जून माह में लाए गए एक अध्यादेश के विरोध में प्रदेश की 247 कृषि उपज मंडियों के व्यापारियों ने शुक्रवार को मंडी बंद रखने का निर्णय लिया है.

राजस्थान के साथ ही हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ में भी मंडियां बंद रखकर विरोध जताया जा रहा है. अध्यादेश का विरोध जताने के लिए जयपुर में मंडी व्यापारी शुक्रवार को सुबह 11 बजे कूकरखेड़ा मंडी में एकत्रित होकर प्रदर्शन करेंगे.

राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता के मुताबिक भारत सरकार द्वारा कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य संवर्धन एवं सुविधा अध्यादेश-2020 जारी किया गया था. इस अध्यादेश में कृषि उपज मंडियों में कारोबार कर रहे व्यापारियों और आढतियों को मंडी टैक्स देना अनिवार्य किया गया है.

वहीं, मंडियों के बाहर से काम करने वाले व्यापारी, मिल संचालक और वेयरहाउसेज को इससे मुक्त रखा गया है. गुप्ता का कहना है कि इससे मंडियों में कारोबार समाप्त होने के कगार पर पहुंच गया है, जबकि मंडियों के बाहर असामाजिक तत्व सक्रिय हो गए हैं. अभी एक दिन का बंद रखकर विरोध जताया जा रहा है. 23 अगस्त को व्यापारियों की बैठक होगी, जिसमें अनिश्चतकालीन बंद का निर्णय भी लिया जा सकता है.

खाद्य पदार्थ व्यापार संघ अध्यक्ष के मुताबिक, अध्यादेश में प्रावधान किया गया है कि मंडियों से बाहर काम करने वाले व्यापारी, मिल संचालक और वेयरहाउसेज बिना मंडी लाइसेंस और बिना मंडी सेस चुकाए खरीद-बिक्री कर सकेंगे. यह राज्य के बाहर भी कृषि जिंसों की खरीद-बिक्री बिना लाइसेंस और बिना मंडी सेस के कर सकते हैं.

ऐसे में जो लोग बड़ी राशि लगाकर मंडियों में व्यापार कर रहे हैं उन पर खतरा मंडरा रहा है. व्यापारियों की मांग है कि या तो जिस तरह से मंडी के बाहर मंडी सेस और दूसरे सेस समाप्त किए गए हैं, उसी तरह मंडियों में भी इन्हें खत्म किया जाए. अगर केन्द्र सरकार यह नहीं कर सकती है तो मंडी के बाहर कार्य करने वाले व्यापारियों से भी राज्यों में लागू मंडी टैक्स वसूला जाए.

प्रदेश की सभी मंडियां बंद होने से इनमें होने वाला कारोबार भी बड़े स्तर पर प्रभावित होगा. एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश की मंडियों में हर रोज करीब 1500 करोड़ का टर्न ओवर होता है. मंडियों से हर रोज करीब 30 करोड़ रुपए आढ़त का और करीब 50 करोड़ के जीएसटी तथा मंडी शुल्क का कलेक्शन होता है.

हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते मंडियों में भी कारोबार प्रभावित हो रहा है. अभी मंडियों में एक दिन का सांकेतिक बंद है लेकिन यदि अनिश्चितकालीन बंद का निर्णय होता है तो इससे बड़ा आर्थिक नुकसान होगा.

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