50 साल तक विपक्ष में ही बैठी रहेगी कांग्रेस : गुलाम नबी आज़ाद
1 min readराजस्थान का सियासी घमासान थमे अभी कुछ ही दिन हुए थे कि अब लेटर बम ने कांग्रेस को हिलाकर रख दिया है. 7 घंटे तक चली कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के बाद भी पार्टी अपने नेताओं को संतुष्ट करने में कामयाब होती नहीं दिख रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी नेताओं से कहा है कि जो कोई भी कांग्रेस का हित चाहता है वह उनके ‘असहमति पत्र’ का स्वागत करेगा.
कांग्रेस की ओर से भले ही कहा जा रहा हो कि उन्होंने गुलाम नबी आजाद को समझा लिया है, हालांकि उन्होंने एक बार फिर जोर देते हुए कांग्रेस वर्किंग कमिटी का नए सिरे से चुनाव कराने की बात कही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी और राज्य प्रमुखों सहित संगठन के विभिन्न पदों पर चुनाव नहीं कराए गए तो पार्टी अगले 50 वर्षों तक विपक्ष में ही बैठी रह सकती है.
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस के आंतरिक कामकाज में जिस किसी को भी रुचि होगी वह हमारे इस प्रस्ताव का साथ देगा. हम चाहते हैं कि पार्टी को अगर मजबूत करना है तो हर राज्य और जिले में अध्यक्ष निर्वाचित होना चाहिए. उन्होंने कहा कि संगठन को मजबूत करने के लिए पूरी कांग्रेस कार्यसमिति का चुनाव कराया जाना चाहिए.
आज़ाद ने कहा, ‘चुनाव कराने का लाभ यह होता है कि जब आप चुनाव जीतते हैं तो कम से कम आपकी पार्टी के 51% सदस्य आपके साथ खड़े होते हैं. अभी, अध्यक्ष बनने वाले व्यक्ति को एक प्रतिशत समर्थन भी नहीं मिल सकता है. अगर सीडब्ल्यूसी सदस्य चुने जाते हैं, तो उन्हें हटाया नहीं जा सकता है. इसमें समस्या कहां है?’
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को पार्टी के सुधार के लिए हमने जो सुझाव दिए थे उससे दिक्कत थी. हालांकि बाद में राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने कहा कि वह एक महीने के अंदर चुनाव कराएंगे, लेकिन कोरोना को देखते हुए यह संभव होता नहीं दिख रहा है. यही कारण है कि हमने सोनिया गांधी से 6 महीनों के लिए अध्यक्ष बनने का अनुरोध किया है.
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पिछले कई दशकों से पार्टी के अंदर निर्वाचित निकाय नहीं है. उन्होंने कहा कि ये कोशिश 15 साल पहले ही कर ली जानी चाहिए थी. हमारी पार्टी लगातार चुनाव हार रही है. हमें अगर सत्ता में वापसी करनी है तो हमें आंतरिक चुनाव कराकर अपनी पार्टी को मजबूत करना होगा. आजाद ने कहा कि अगर पार्टी के नेताओं की ओर से लिखा गया पत्र सार्वजनिक हो गया तो इसमें परेशानी की क्या बात है. पार्टी को मजबूत बनाने और चुनाव कराने के लिए कोई स्टेट सीक्रेट नहीं है. उन्होंने बताया कि इंदिरा गांधी जी के समय में भी कैबिनेट की कार्रवाई लीक हो जाती थी.
बता दें कि जिन नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी इनमें पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल, शशि थरूर, मनीष तिवारी, आनंद शर्मा, पीजे कुरियन, रेणुका चौधरी, मिलिंद देवड़ा और अजय सिंह शामिल हैं. इनके अलावा सांसद विवेक तन्खा, सीडब्ल्यूसी सदस्य मुकुल वासनिक और जितिन प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, राजेंद्र कौर भट्ठल, एम वीरप्पा मोइली और पृथ्वीराज चव्हाण ने भी पत्र पर दस्तखत किए हैं.