September 26, 2024

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नाक के जरिए कोरोना वैक्‍सीन देने की तैयारी, जानिए क्‍यों और कैसे काम करती है:

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दुनियाभर में कोविड-19 के लिए 320 वैक्‍सीन डेवलप की जा रही हैं। इनमें से करीब पांच वैक्‍सीन नाक के जरिए दिए जाने वाली हैं।

Corona Vaccine : नाक के जरिए कोरोना वैक्‍सीन देने की तैयारी, जानिए क्‍यों  और कैसे काम करती है - YouTube

 

कोविड-19 के मामले बढ़ने के साथ ही वैक्‍सीन की जरूरत बढ़ती चली गई है। अलग-अलग देशों में 300 से ज्यादा वैक्‍सीन का डेवलपमेंट हो रहा है। इनमें से अधिकतर वैक्‍सीन इंजेक्‍शन की शक्‍ल में दी जाने वाली हैं। हालांकि कुछ वैक्‍सीन ऐसी भी डेवलप की जा रही हैं जिन्‍हें नाक के जरिए शरीर में प्रवेश कराया जा सकता है। इन्‍हें नेजल या इंट्रानेजल वैक्‍सीन कहती है। कोरोना अक्‍सर नाक के जरिए एंट्री करता है। साइंटिस्‍ट्स का तर्क है कि जिन टिश्‍यूज से पैथोजेन का सामना होगा, उन्‍हीं टिश्‍यूज में इम्‍युन रेस्‍पांस ट्रिगर करना असरदार हो सकता है। दूसरा तर्क जो नेजल स्‍प्रे के पक्ष में दिया जाता है कि एक बड़ी आबादी को इंजेक्‍शन लगवाने से डर लगता है। साथ ही इस तरह की वैक्‍सीन को बड़े पैमाने पर प्रोड्यूस करना आसान होता है। आइए जानते हैं इंट्रानेजल वैक्‍सीन के बारे में सबकुछ।

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चूहों के एक ग्रुप को इंजेक्‍शन के जरिए वैक्‍सीन दी गई। फिर SARS-CoV-2 से एक्‍सपोज कराने के बाद, फेफड़ो में कोई वायरस नहीं मिला लेकिन वायरल आरएनए का कुछ हिस्‍सा जरूर पाया गया। इसके मुकाबले, जिन चूहों को नाक के जरिए वैक्‍सीन दी गई थी, उनके फेफड़ों में इतना वायरल आरएनए नहीं था जिसे मापा जा सके। स्‍टडीज यह भी बतलाती हैं कि नेजल वैक्‍सीन IgC और म्‍यूकोसल IgA डिफेंडर्स को भी बढ़ावा देती हैं जो कि वैक्‍सीन के असरदार होने में मददगार हैं।

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आमतौर पर इंट्रामस्‍कुलर (इंजेक्‍शन वाली) वैक्‍सीन कमजोर म्‍यूकोसल रेस्‍पांस ट्रिगर करती हैं क्‍योंकि उन्‍हें बाकी अंगों की इम्‍युन सेल्‍स को इन्‍फेक्‍शन की जगह पर लाना होता है। आम वैक्‍सीन के मुकाबले इन्‍हें बड़े पैमाने पर बनाना और डिस्‍ट्रीब्‍यूट करना आसान है। इसमें उसी प्रॉडक्‍शन तकनीक का यूज होना है तो इन्‍फ्लुएंजा वैक्‍सीन में इस्‍तेमाल होती है।

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नेजल वैक्‍सीन आपके इम्‍युन सिस्‍टम को खून में और नाक में प्रोटीन्‍स बनाने के लिए मजबूर करती है जो वायरस से लड़ते हैं। डॉक्‍टर आपकी नाक में एक छाटी सीरिंज (बिना सुईं वाली) से वैक्‍सीन का स्‍प्रे करेगा। यह वैक्‍सीन करीब दो हफ्ते में काम करना शुरू कर दी जाती है। नाक के जरिए दी जाने वाली दवा तेजी से नेजल म्‍यूकोसा (नम टिश्‍यू) में सोख ली जाती है, फिर उसे धमनियों या रक्‍त शिराओं के जरिए पूरी शरीर में पहुंचाया जाता है।

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