अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंची बैंक क्रेडिट ग्रोथ, आपकी जेब पर भी होगा इसका असर:-
1 min readक्रेडिट ग्रोथ रेट के कमजोर होने से बैंकिंग इंडस्ट्री को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है
इससे पहले 1994 में भी बैंक क्रेडिट ग्रोथ 6 फीसदी के करीब आई थी|
देश में बैंक क्रेडिट ग्रोथ अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गई है। अप्रैल 2020 में बैंक क्रेडिट ग्रोथ 5.26 फीसदी पर आ गई है। इससे पहले 1994 में भी बैंक क्रेडिट ग्रोथ 6 फीसदी के करीब आई थी। जनवरी 2020 में ये ग्रोथ 8.5 फीसदी थी। बैंक क्रेडिट ग्रोथ पिछले साल 10.4 फीसदी बढ़ी थी जबकि इस साल बैंक क्रेडिट ग्रोथ में लगातार गिरावट आ रही है।
क्रेडिट ग्रोथ क्या होता है?
इसका मतलब बैंकों द्वारा कंपनियों, बिजनेसमैनों या लोगों को दिए जाने वाले उधार से है। यानी लोन में ग्रोथ क्रेडिट तब बढ़ता है जब इंडस्ट्रियल रिफॉर्म होते हैं। लोग बैंक से जितना कर्ज लेते हैं बैंक क्रेडिट ग्रोथ उतनी ही ज्यादा बढ़ती है।
लोन लेने की ग्रोथ रेट में गिरावट की वजह मुख्य रूप से सर्विस सेक्टर बना। इस सेक्टर में लोन की ग्रोथ रेट में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। जनवरी 2020 में सर्विस सेक्टर के लोन की ग्रोथ रेट 8.9 फीसदी रही, जो जनवरी 2019 में 23.9 फीसदी थी। वहीं गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को बैंकों के लोन की ग्रोथ रेट घटकर 32.2 फीसदी पर आ गई, जो एक साल पहले समान माह में 48.3 फीसदी रही थी।
अर्थशास्त्री डॉ. गणेश कावड़िया (स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स,देवी अहिल्या विवि इंदौर के पूर्व विभागाध्यक्ष) कहते हैं कि इस समय कोरोना महामारी के कारण देश में ‘वेट एंड वॉच’ की स्थिति बनी हुई है। नए व्यवसाय शुरू नहीं हो रहे हैं लोग घर, गाड़ी या अन्य कोई बड़ा सामान खरीदने से भी कतरा रहे हैं। इस कारण मार्किट में पैसे का फ्लो काम हो गया है। लोग लोन लेने से दर रहे हैं। ये भी बैंक क्रेडिट ग्रोथ में गिरावट का मुख्य कारण है।
बैंक क्रेडिट ग्रोथ में गिरावट का मतलब है कि लोग बैंक से कर्ज नहीं ले रहे हैं। ऐसे में बैंक ग्राहकों को लुभाने के लिए लोन की ब्याज दरों में कटौती करते हैं या लोन प्रोसेस फीस भी माफ कर देते हैं। बैंक क्रेडिट ग्रोथ में गिरावट का ही नतीजा है कि होम लोन अब तक के सबसे कम ब्याज पर दिया जा रहा है। हालाँकि इसका नुकसान भी है। क्रेडिट ग्रोथ में गिरावट और बैंक डिपॉजिट बढ़ने पर बैंक जमा योजनाओं पर मिलने वाले ब्याज में कटौती करते हैं।
बैंकों की आय का मुख्य साधन लोन ही होता है, और ऐसे में अगर लोग लोन नहीं लेंगे तो बैंक की आय कम हो जाएगी। इससे अलावा बैंक को जमा पर ब्याज भी देना होता है जो लोन के ब्याज से ही आता है, ऐसे में जब बैंक पर पैसा नहीं आता तो वो सेविंग स्कीम्स में मिलने वाले ब्याज में कटौती करते हैं।
अर्थव्यवस्था हमेशा पैसों के रोटेशन पर निर्भर करती हैं। पैसों का रोटेशन जितना ज्यादा होगा देश की अर्थव्यवस्था उतनी अच्छी रहेगी। लेकिन कोरोना के कारण लोगों ने अपने खर्चों में कटौती की है। लोग घर या अन्य ऐसा बड़ा सामान खरीदने से फिलहाल बच रहे हैं जिसके लिए उन्हें लोन लेना पड़े। इससे पैसों के रोटेशन पर विपरीत असर पड़ा है जो अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है।डॉ. गणेश कावड़िया बताते हैं कि ये बता पाना बहुत मुश्किल है कि स्थिति कब सुधरेगी। लेकिन ये जरूर कहा जा सकता है कि कोरोना महामारी के ख़त्म होने के बाद इस समस्या से निपटना आसान हो जाएगा। क्योंकि अभी देश में अनिश्चितता और दर का माहौल है, इस कारण लोन खर्च कम कर रहे हैं और बचने का ज्यादा सोच रहे हैं।
बैंक डिपॉजिट बढ़ा
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, बैंक डिपॉजिट की वैल्यू 11 सितंबर को खत्म हुए दो हफ्ते की अवधि में सालाना आधार पर 12 फीसदी बढ़ी है। इसके मुकाबले यह पिछले साल 10 फीसदी थी। दो हफ्ते में शेडयूल्ड कमर्शियल बैंकों में कुल डिपॉजिट 71,417 करोड़ रुपए बढ़कर 142.48 लाख करोड़ रुपए हो गई है। बैंक डिपॉजिट मार्च के महीने में लॉकडाउन शुरू होने के बाद लगातार बढ़ रही है।