पहाड़ी पर बिखरे थे प्राचीन मूर्तियों के अवशेष, सहेज कर ग्रामीणों ने बनाया देवालय, शुरू की पूजा:-
1 min readग्राम चुइया मोहनपुर समेत आसपास के ग्रामीणों के लिए महाकाल रसिया महादेव के प्रति आस्था बढ़ी है। चुईया व अजगरबहार के बीच मुख्य सड़क के किनारे से लगी पहाड़ियों के बीच व बगल से बहने वाले बारहमासी नाला के समीप बड़ी संख्या में मूर्तियों के अवशेष बिखरे मिले। ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से एकत्र कर पहाड़ के ऊपर जगह जगह मूर्तियों की स्थापना की है। अभी नवरात्रि में बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने पहुंच रहे हैं।
इस स्थल को एतिहासिक रूप देने के लिए रसिया महादेव विकास समिति व धार्मिक पर्यटन स्थल के नाम से विकसित करने की योजना चुईया पंचायत के लोग पहले ही बना चुके हैं। पहाड़ से लगे एक कुंड में शिवलिंग मिलने पर उसे वहीं पहाड़ के उपर बीते सावन में स्थापित कर दिए थे।
उसके बाद से गांव के लोग वहां बिखरी पड़ी मूर्तियों को एकत्र कर मंदिर के आसपास सहेज रखे हैं। ग्राम चुईया निवासी जनपद सदस्य जगलाल राठिया ने बताया कि गांव के सरहद पर रसिया टोक पहाड़ स्थित है। यह 1500 फीट ऊंचा है। गांव के देवता रसिया बाबू को उनके पूर्वजों ने स्थापित किया है। पूर्वजों के अनुसार रसिया बाबू एक आदि पुरुष हैं और उनको माता कोसगाई दाई के पति के रूप में पूजा जाता है।
मां कोसगई दाई पहले टोंक पहाड़ पर ही विराजमान थीं, लेकिन उस समय के राजा महाराजाओं ने कोसगई दाई को कोसगाई पहाड़ पर स्थापित कर दिए थे। उसके बाद गांव के लोग दोनों स्थलों पर पूजा करते आ रहे हैं। राठिया ने बताया कि पूरे गांव के लोगों की मदद व प्रशासनिक सहयोग से इस स्थल को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं। फिलहाल पूरे गांव के लोग इन दिनों नवरात्रि में पूजन अर्चना करने पहुंच रहे हैं।