आक्सीजन ने मध्य प्रदेश के 600 उद्योगों में फूंकी जान, पर 30 फीसद महंगा हुआ सिलिंडर:-
1 min readमध्य प्रदेश के दो बड़े औद्योगिक क्षेत्र मंडीदीप एवं गोविंदपुरा के 600 से अधिक उद्योगों में आक्सीजन ने जान फूंक दी है। इन उद्योगों में करीब डेढ़ महीने बाद आक्सीजन की आपूर्ति बहाल हुई है। हालांकि, उद्योगपतियों को पहले की तुलना में लगभग 30 फीसद ज्यादा कीमत चुकाना पड़ रही है। 10 क्यूबिक मीटर का जो सिलिंडर पहले 180 रुपये में मिलता था, वह अब 250 रुपये में मिल रहा है। एक क्यूबिक मीटर आक्सीजन के सात रुपये तक बढ़े हैं।
गोविंदपुरा एवं मंडीदीप औद्योगिक क्षेत्र में तीन सितंबर से ही आक्सीजन की सप्लाई बंद हो गई थी। मेडिकल इमरजेंसी के चलते उद्योगों में आक्सीजन नहीं दी जा रही थी। ऐसे में गोविंदपुरा व मंडीदीप के 600 से अधिक उद्योग पूरी तरह से ठप पड़ गए थे। शासन-प्रशासन दोनों स्तरों पर कई बार मांग उठाई गई। डेढ़ महीने की मशक्कत के बाद अब उद्योगों में आक्सीजन व्यवस्था बहाल हो पाई है। हालांकि, 20 फीसद आक्सीजन ही उपलब्ध कराई जा रही है। फिर भी उद्योगपति जैसे-तैसे पेंडिंग आर्डर पूरे करने में जुटे हैं।
अस्पताल व उद्योगों में ऑक्सीजन दो तरह के सिलिंडर में सप्लाई होती है। अस्पताल में जो सिलिंडर पहुंचते हैं, वे साढ़े सात क्यूबिक मीटर के होते हैं, जबकि उद्योगों में उपयोग किए जाने वाले सिलिंडरों की क्षमता 10 क्यूबिक मीटर होती है। उद्योगों में आइनाक्स समेत कुछ अन्य कंपनियां ऑक्सीजन की सप्लाई करती है। पूर्व में उद्योगों को 18 रुपये क्यूबिक मीटर के हिसाब से आक्सीजन दी जाती थी, जो अब 25 रुपये क्यूबिक मीटर हो गई है। ऐसे में 10 क्यूबिक मीटर का सिलिंडर 70 रुपये तक महंगा हो गया है।
मेडिकल इमरजेंसी के चलते उद्योगों में आक्सीजन की सप्लाई बंद की गई थी। इस कारण ऐसे मुनाफाखोर जिनके पास आक्सीजन का स्टाक था, वे उद्योगपतियों को पांच गुनी कीमत पर सिलिंडर बेच रहे थे। एक सिलिंडर उन्हें एक हजार रुपये तक का मिल रहा था। मजबूर कई उद्योगपति मुंहमांंगी कीमत देकर अपने आर्डर पूरे कर रहे थे।
डेढ़ महीने से आक्सीजन की सप्लाई ठप थी, लेकिन अब 20 फीसद तक आक्सीजन दी जाने लगी है। इससे 600 उद्योगों में जान आ गई है, लेकिन सात रुपये प्रति क्यूबिक मीटर आक्सीजन महंगी हो गई है। गोविंदपुरा में प्रतिदिन तीन हजार सिलिंडर की जरूरत पड़ती है। वर्तमान में कम सिलिंडर मिलने से जरूरी आर्डर ही पूरे कर रहे हैं।