May 8, 2024

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राजधानी लखनऊ के सिविल हॉस्पिटल के डॉक्टर हुए कोरोना से संक्रमित

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वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का संक्रमण थोड़ा थमने के बाद अब फिर से भयावह रूप लेने को तैयार है। उत्तर प्रदेश में लगातार पांच दिन से नए संक्रमितों की संख्या बढऩे से सरकार हाई अलर्ट पर है और इसी बीच लखनऊ के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल के एक डॉक्टर को-वैक्सीन की डोज लेने के बाद भी संक्रमित हो गए हैं।

देश के साथ ही उत्तर प्रदेश में इन दिनों कोरोना वायरस संक्रमण की तेज गति से टेस्टिंग के साथ ही वैक्सीनेशन भी हो रहा है। को-वैक्सीन की डोज लेने वाले डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल के एक डॉक्टर के कोरोना वायरस संक्रमित होने के बाद से स्वास्थ्य विभाग के साथ ही शासन व प्रशासन में खलबली मच गई है।

सिविल अस्पताल के डॉक्टर की कोविड टेस्ट की रिपोर्ट सोमवार को दिन में करीब एक बजे आने के बाद से अस्पताल में खलबली मची है। प्रदेश में कोरोना वैक्सीन की डोज लेने के बाद भी संक्रमण का पहला मामला आने के बाद से लखनऊ के सीएमओ का अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर के पद पर तैनात डॉ नितिन मिश्रा कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं। उन्होंने को-वैक्सीन की डोज ली थी। फिलहाल डॉक्टर होम क्वारंटाइन में चले गए हैं।

सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ एसके नंदा ने बताया कि डॉ नितिन को तीन-चार दिनों पहले खांसी, बुखार की दिक्कत हुई थी। इसके बाद वह छुट्टी चले गए थे। उन्होंने अपनी कोरोना जांच कराई। तब रिपोर्ट पॉजिटिव होने की जानकारी मिली।

डॉक्टर नंदा के अनुसार डॉ. नितिन ने पहली डोज 16 फरवरी को व दूसरी डोज 15 मार्च को ली थी। दूसरी डोज लेने के तीन-चार दिनों बाद उनमें खांसी बुखार और जुखाम जैसे लक्षण आए थे।

उन्होंने बताया कि डॉक्टर के संपर्क में आए अन्य लोगों की भी जांच कराई जा रही है साथ ही उन लोगों को भी क्वारंटाइन रहने को कह दिया गया है। डॉ. नितिन ने 20 मार्च को अपनी आरटीपीसीआर जांच कराई थी। 21 मार्च को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई।

एसीएमओ लखनऊ डॉ एमके सिंह ने कहा कि इसे लगवाने से ज्यादातर लोगों में कोरोना का संक्रमण नहीं होगा। अगर कुछ को हो भी गया तो उनकी स्थिति उतनी गंभीर नहीं होगी। यह बात पहले से कही जा रही है।

जिन लोगों को वैक्सीन लगाने के बाद संक्रमण हो रहा है, उन पर निगरानी की जा रही है। अब यह पता लगाया जाएगा कि किन परिस्थितियों में वह संक्रमित हुए। मगर इससे घबराने की कोई जरूरत नहीं है।

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