बिहार में आज रात 12.40 बजे तक जलेगी होलिका, जानें शुभ मुहूर्त व पूजन विधि
1 min readराजधानी पटना सहित पूरे बिहार में जगह-जगह विभिन्न चौक-चौराहों पर रविवार को होलिका दहन होगा। इसके लिए तैयारी कर ली गई है। विद्वानों के अनुसार होलिका दहन का सबसे अच्छा मुहूर्त रविवार को शाम में 6.37 बजे लेकर रात में 8.56 बजे तक है। हालांकि, रात्रि 12.40 तक होलिका दहन किया जा सकता है।
होली के एक दिन पहले किया जाता होलिका दहन
पटना के आचार्य पंडित विनोद झा वैदिक का कहना है कि होली (रंगोत्सव) के एक दिन पहले होलिका दहन का विधान है। होलिका दहन से पहले विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। उसके बाद निर्धारित मुहूर्त में होलिका में आग लगाई जाती है। होलिका की पूजा में थाली, दीप, धूप, अगरबत्ती, चंदन, रोली, कपूर, अच्छत, फूल, जल एवं मिष्ठान आदि का उपयोग किया जाता है।
विभिन्न चौक-चौराहों पर होलिका दहन की तैयारी
पटना की बात करें तो रविवार को विभिन्न चौक-चौराहों पर होलिका दहन की तैयारी की गई है। राजधानी में बोरिंग रोड चौराहा, बोरिंग कैनाल रोड, राजापुर पुल, गोलघर, दीघा-आशियाना रोड, कुर्जी मोड़, साईं मंदिर, राजीवनगर, रामनगरी मोड़, आशियाना मोड़, कंकड़बाग, राजेंद्रनगर एवं चितकोहरा पुल पर भी होलिका दहन की तैयारी की गई है।
जानिए क्या है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
होलिका दहन का मुहूर्त 28 मार्च रविवार को शाम में 6.37 बजे लेकर रात में 8.56 बजे तक है। इस दौरान होलिका दहन करना ज्यादा शुभ होगा। खास बात यह भी है कि इस साल होलिका दहन के पहले रविवार को दिन में ही 1.33 बजे भद्रा समाप्त हो जाएगी। पूर्णिमा तिथि रविवार रात में 12:40 बजे तक रहेगी। शास्त्रों के अनुसार भद्रा रहित पूर्णिमा तिथि में होलिका दहन किया जाता है। इस तरह रात्रि 12.40 बजे तक हांलिका दहन किया जा सकता है। पटना के राजापुर स्थित सियाबिहारी कुंज ठाकुरबाड़ी के महंत पंडित नागेंद्र दास का कहना है कि रविवार की रात 12.40 तक पूर्णिमा है। होलिका का दहन हमेशा पूर्णिया में ही होना चाहिए। पं. दास का कहना है कि होलिका दहन कई जगहों पर अपनी स्थानीय परंपराओं के आधार पर किया जाता है। धर्मशास्त्र के नियमों के साथ-साथ स्थानीय परंपराओं का भी ख्याल रखना जरूरी है।
जानिए किन चीजों से की जाती है होलिका पूजा
शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन से पहले एक लोटा गंगाजल, रोली, माला, अक्षत, धूप या अगरबत्ती, पुष्प, गुड़, कच्चे सूत के धागे, हल्दी, मूंग, बताशा, नारियल एवं नई फसल के अनाज गेंहू की बालियां, पके चने आदि से उसकी पूजा की जाती है। फिर, होली के चारों और तीन या सात बार परिक्रमा करते हुए कच्चे सूत के धागे को लपेटा जाता है। पूजा के दौरान शुद्ध जल सहित अन्य पूजन सामग्रियों को होलिका को अर्पित किया जाता है। फिर, होलिका में कच्चे आम, नारियल, सात तरह के अनाज, नई फसल व चीनी के बने खिलौने आदि की आहुति दी जाती है।
राशि अनुसार इन चीजों का करें होलिका दहन
- मेष : गुड़। इससे मानसिक परेशानियों से निजात मिलेगी।
- वृष : चीनी। इससे बाधाएं दूर होंगी।
- मिथुन : अपामार्ग और गेंहू की बाली, कपूर।
- कर्क : लोहबान। नौकरी व कॅरियर में लाभ मिलेगा।
- सिंह : गुड़। पितरों को भी याद करें। व्यापार की परेशानियां दूर होंगी।
- कन्या : कपूर। कार्यक्षेत्र की बाधाएं दूर होंगी।
- तुला : गूलर की लकड़ी, कपूर। परेशानियों से छुटकारा मिलेगा।
- वृश्चिक : गुड़।
- धनु : जौ व चना। भगवान विष्णु की पूजा भी करें।
- मकर : शमी की लकड़ी, तिल। परेशानियां दूर होंगी।
- कुंभ : शमी की लकड़ी, तिल।
- मीन : जौ व चना। पितरों काे याद करें। स्वास्थ्य की परेशानी दूर होगी।