रावत ने मंगलवार को सेवानिवृत्त अधिकारियों की संगोष्ठी में चर्चा की
1 min readसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत (BIPIN RAWAT) ने स्पष्ट किया है कि भारतीय सेना हमेशा से दिव्यांगता पेंशन के पक्ष में हैं. बिपिन रावत ने कहा कि सेना एक बार पूरी तरह से विकलांगता पेंशन के पक्ष में थी और युद्ध में घायल लोगों के अंदर कार्यबल का पूरा ध्यान रखेगी. उन्होंने कहा, ‘भारतीय सेना दिव्यांगता पेंशन के लिए हर समय है और कभी भी इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है. विचार-विमर्श केवल निश्चित वर्गों की अक्षमता तत्व पर आयकर छूट के लिए है.’
रावत ने मंगलवार को सेवानिवृत्त अधिकारियों की संगोष्ठी में चर्चा की. उन्होंने विश्वास दिलाया कि सेना “युद्ध-घायल सैनिकों की देखभाल करेगी.
गौरतलब है कि विकलांगता पेंशन के मुद्दे पर सेना के माध्यम से किए गए सुधारों ने रक्षा फर्मों और सेवानिवृत्त अधिकारियों को कुछ असुविधाएं पेश की हैं और सेना ने सख्त निर्देशों का पालन करते हुए जीवन शैली से जुड़े रोगों से पीड़ित दो लेफ्टिनेंट जनरल-रैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों को काम करने के लिए अक्षमता पेंशन का भुगतान नहीं किया है.
बता दें कि पिछले साल हैदराबाद स्थित मिलिटरी कॉलेज ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मेकैनिकल इंजीनियरिंग (एमसीईएमई) के दीक्षांत समारोह में थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि सेना युद्ध में दिव्यांग हुए पूर्व सैनिकों के बारे में ब्यौरा जुटा रही है, ताकि जरूरतमंदों को कृत्रिम अंग सहित अन्य सुविधाएं मुहैया करायी जा सकें. जनरल रावत ने कहा कि लक्ष्य दिव्यांग सैनिकों को प्रेरित करना है कि दिव्यांगता का यह मतलब नहीं कि वे कुछ कर नहीं सकते.
उन्होंने कहा,‘सबसे पहले हम इन लोगों की पहचान कर रहे हैं. कुछ ऐसे भी दिव्यांग सैनिक हैं, जो गांव में हैं. कुछ कहीं और रह रहे हैं. कुछ सैनिक 1965 की जंग में दिव्यांग हुए थे. कुछ 1971 में दिव्यांग हुए थे. अब वे बहुत बुजुर्ग हो गए हैं. इसलिए सबसे पहले उनकी पहचान करनी होगी और फिर देखना होगा कि उनकी क्या हालत है.’ ड्यूटी के दौरान दिव्यांग हुए सैनिकों की मदद को लेकर सेना की योजना के बारे में पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने यह जवाब दिया .
जनरल रावत ने कहा कि सेना पूर्व सैनिकों की मौजूदा हालत पर विवरण तैयार कर रही है. उन्होंने कहा कि सेना बहुत अच्छे कृत्रिम अंग मुहैया करा रही है जिससे उन्हें आम जिंदगी गुजर करने में सहायता मिलती है.