December 15, 2024

Sarvoday Times

Sarvoday Times News

बहराइच जिले में सरयू नदी के किनारे मिले कछुओं की दुर्लभ प्रजातियां

1 min read

दुर्लभ स्वच्छ जलीय जीव कछुओं और कुर्म की देश भर की नदियों और तालाबों में पायी जाने वाली कुल 29 और उत्तर प्रदेश में मौजूद 15 प्रजातियों में से सर्वाधिक 11 प्रजातियां अकेले बहराइच जिले की सरयू नदी में पायी गयी हैं.

एक शोध के अनुसार, बहराइच की सरयू नदी का किनारा दुर्लभ कछुओं के संरक्षण हेतु महत्वपूर्ण है. सरयू नदी में कछुओं की विभिन्न प्रजातियों की पहचान व संरक्षण पर 2008 से वहां काम कर रही

स्वैच्छिक संस्था टर्टल सर्वाइवल एलायन्स इन्डिया (टीएसए) की प्रतिनिधि एवं शोधकर्ता अरुणिमा सिंह ने एजेंसी को बताया कि भारत में कछुओं की 29 प्रजातियां पायी जाती हैं, जिनमें 24 प्रजाति के कछुए (टॉरटॉइज) एवं पांच प्रजाति के कुर्म (टर्टल) हैं.

उन्होंने बताया ये सभी भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की विभिन्न अनुसूचियों के अन्तर्गत संरक्षित हैं. किन्तु इन कछुओं की प्रजातियों, इनके विचरण के क्षेत्रों व प्रकृति में इनके पारिस्थितिक महत्व के बारे में लोग ज्यादा नहीं जानते.

अरूणिमा ने बताया कि शोध में प्राप्त निष्कर्षों से अब यह माना जा रहा है कि एक ही नदी में इतनी अधिक प्रजातियों के मिलने से सरयू नदी और इससे जुड़ा इलाका कछुओं की उत्पत्ति और संरक्षण के लिए काफी अनुकूल और महत्वपूर्ण है.

उन्होंने बताया इसी को लेकर साल 2008 से बहराइच की सरयू नदी में कछुआ संरक्षण प्रोजेक्ट चल रहा है. इस प्रोजेक्ट के तहत हम लोग स्कूली बच्चों, मछुआरों और नदी के किनारे रहने वाले लोगों को कछुओं के बारे में जागरूक करते

इस संबंध में बहराइच के प्रभागीय वनाधिकारी मनीष सिंह ने बताया कि वन विभाग के साथ, एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल), पुलिस और स्वैच्छिक संस्थाएं जलीय जीवों की सुरक्षा पर काम कर रही हैं.

सिंह ने बताया कि कछुए जलीय क्षेत्र के गिद्ध समान होते हैं जो नदियों और तालाबों के दूषित पदार्थों व बीमार मछलियों को खाकर जल को प्रदूषण मुक्त एवं स्वच्छ बनाते हैं.

loading...
Copyright © All rights reserved. | Newsphere by AF themes.