महाराष्ट्र में ब्लैक फंगस के लगभग 90 मरीजों ने तोड़ दम
1 min readकोरोना महामारी की दूसरी लहर से पूरा भारत लड़ रहा है और इसी बीच ब्लैक फंगस का भी खतरा अब मंडरा रहा है. हर जगह इसके मरीज देखने मिल रहे हैं. इसे देखते हुए कई राज्यों ने इसे अब महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत म्यूकोरमाइकोसिस को महामारी घोषित किया है.
महाराष्ट्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक करीब 90 लोगों ने इस बीमारी के चलते अपना दम तोड़ दिया है. ऐसे ही बीमारी का इलाज करने वाले वेदांत अस्पताल के डॉक्टर और उस बीमारी के से लड़ाई कर रहे मरीजों ने अपना अनुभव साझा किया है.
एक्सपर्ट बताते हैं कि कोरोना की बीमारी से ठीक होने के बाद कुछ मरीजों में म्यूकरमाइकोसिस नाम का फंगल इन्फेक्शन देखने मिल रहा है जिसका इलाज एक चुनौती से कम नहीं है.
ऐसे करीब 12 मरीज मुंबई से सटे ठाणे के वेदांत अस्पताल में म्यूकरमाइकोसिस वार्ड में अपना इलाज करवा रहे हैं. इस वार्ड में सिर्फ इसी बीमारी के मरीजों का इलाज किया जाता है. इस अस्पताल में डॉक्टरों ने कई मरीजों की सर्जरी कर ली है तो कुछ मरीजों का ऑपरेशन बाकी है.
ऐसे मरीजों का इलाज करने के लिए कई तरह के स्पेशलिस्ट जैसे कि न्यूरोसर्जन, फिजिशियन, ENT स्पेशलिस्ट काम करते हैं क्योंकि ब्लैक फंगस से बीमार सभी मरीजों में खासकर नाक, कान और मुंह से जुड़े लक्षण सामने आए हैं.
वेदांत अस्पताल में काम करने वाले न्यूरोसर्जन डॉ निखिल चामनकर, फिजिशियन डॉ राहुल तुले और ENT सर्जन डॉ श्वेता बाविस्कर ने म्यूकरमाइकोसिस बीमारी से लड़ रहे. अब तक 20 से भी ज्यादा मरीजों का इलाज किया है.
डॉ श्वेता बाविस्कर ने कहा कि, ज्यादातर मरीजों में परेशानी सीधेतौर पर मुंह के अंदर या मुह से जुड़े बाकी अंगों पर ही दिखाई देते हैं. जैसे कि उनके आंखों और गालों के पास सूजन का दिखना, आंख और नाक से बारबार पानी आना, सर दर्द करना, बुखार होना और उल्टी होना है.
इस बीमारी से जूझ रहे एक मरीज ने बताया कि जैसे ही वो कोरोना की बीमारी से ठीक हुए उसके बाद से ही उनके आखों में सूजन और पानी आने लगा और आंखों के बाद जबड़ा भी सूजने लगा.
उन्होंने जब इस बारे में डॉक्टरों से पूछा तो उन्होंने फंगल इंफेक्शन होने की बात कही और इलाज शुरू किया जिसके बाद नसल्स के जरिये इनकी सर्जरी की गई और अंदर जमे फंगस को बाहर निकाला गया, जिससे आंखों की सूजन भी कम हुई और जबड़े की भी.
मरीज ने बताया कि जब तक इलाज नहीं हुआ था सब धुंधला दिखता था लेकिन सर्जरी के बाद अब साफ दिखाई देने लगा है. डॉक्टर ने इस बीमारी को समझाते हुए बताया कि यह बीमारी खासकर उन मरीजों में दिखती है जिन्हें स्टेरॉयड थेरेपी दी गई और शुगर लेवल कंट्रोल में नहीं है.
एक दूसरे मरीज ने बताया कि उनकी तीसरी सर्जरी हुई है कोरोना की रिपोर्ट नेगटिव आने के बाद उनके चेहरे की सूजन बढ़ने लगी और फिर उनके नाक मे भी दर्द होने लगा डॉक्टरों से पूछने पर इस बीमारी की बात पता चली.
जिसके बाद उनकी सर्जरी करनी पड़ी, और मुह से 4 दांत निकलना पड़ा, डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि उन्हें बताने में थोड़ी और देर होती तो शायद उनका जबड़ा भी काटने की नौबत आ सकती थी.