May 6, 2024

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सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह की जयंती आज

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सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व आज पूरे देश और दुनिया में हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है. आज की तिथि पर ही गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पटना साहिब में हुआ था. गुरु गोबिंद सिंह जी का सिख धर्म में अमूल्य योगदान है.

वे सत्य और धर्म की रक्षा के मार्ग पर चलने वाले सच्चे दिव्यात्मा थे. खालसा पंथ की स्थापना, पांच ककार, धर्म रक्षा, निडर रहकर सेवा करना, सदा सत्य बोलना जैसी कई बातें उनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.

गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व पर प्रभात फेरी निकाली जाती है, भजन कीर्तन किया जाता है. गुरुद्वारों में विशेष सजावट होती है. हर सिख परिवार का सदस्य इस अवसर पर गुरुद्वारे जाता है. अरदास , भजन और कीर्तन में शामिल होता है.

हालांकि इस बार कोरोना का प्रभाव है, इसको देखते हुए सीमित कार्यक्रम ही किए जा रहे हैं. कम संख्या में ही लोगों को घर से बाहर निकलने के लिए कहा गया है.

ऐसे में आप अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखकर घर पर ही प्रकाश पर्व का उत्सव मना सकते हैं. प्रकाश पर्व के इस अवसर पर आप भी अरदास करें. आज गुरु गोबिंद सिंह जयंती पर हम आपको अरदास के बारे में बता रहे हैं:

प्रकाश पर्व पर अरदास
एक ओंकार वाहेगुरू जी की फतेह।। श्री भगौती जी सहाय।। वार श्री भगौती जी की पातशाही दसवीं।।

प्रिथम भगौती सिमरि कै गुरु नानक लई धिआइ॥
फिर अंगद गुरु ते अमरदास रामदासै होई सहाय।।

अरजन हरगोबिंद नो सिमरौ श्री हरिराय।।
श्री हरिकृषन ध्याइये जिस डिठै सभ दुख जाए।।
तेग बहादर सिमरियै घर नौ निध आवै धाय।।
सभ थाईं होए सहाय।।

दसवां पातशाह गुरु गोविंद साहिब जी! सभ थाईं होए सहाय।

दसां पातशाहियां दी जोत श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी
दे पाठ दीदार दा ध्यान धर के बोलो जी वाहेगुरु!
पंजां प्यारेयां, चौहां साहिबज़ादेयां, चालीयां मुक्तेयां,
हठीयां जपीयां, तपीयां, जिनां नाम जपया, वंड छकया,
देग चलाई, तेग वाही, देख के अनडिट्ठ कीता,
तिनां प्यारेयां, सचियारेयां दी कमाई दा
ध्यान धर के, खालसा जी! बोलो जी वाहेगुरु!

जिनां सिंहा सिंहनियां ने धरम हेत सीस दित्ते, बंद बंद कटाए,
खोपड़ियां लहाईयां, चरखियां ते चढ़े, आरियां नाल चिराये गए,
गुरद्वारेयां दी सेवा लई कुरबानियां कीतियां, धरम नहीं हारया,
सिक्खी केसां श्वासां नाल निभाई, तिनां दी कमाई दा
ध्यान धर के, खालसा जी! बोलो जी वाहेगुरु!
पंजां तख्तां, सरबत गुरद्वारेयां,
दा ध्यान धर के बोलो जी वाहेगुरु!

प्रिथमे सरबत खालसा जी दी अरदास है जी,
सरबत खालसा जी को वाहेगुरु, वाहेगुरु, वाहेगुरु चित्त आवे,
चित्त आवण दा सदका सरब सुख होवे।
जहां जहां खालसा जी साहिब, तहां तहां रछया रियायत,
देग तेग फतेह, बिरद की पैज, पंथ की जीत,
श्री साहिब जी सहाय, खालसे जी के बोलबाले, बोलो जी वाहेगुरु!
सिक्खां नूं सिक्खी दान, केस दान, बिबेक दान,
विसाह दान, भरोसा दान, दानां सिर दान, नाम दान
श्री अमृतसर साहिब जी दे स्नान, चौकियां, झंडे, बुंगे,
जुगो जुग अटल, धरम का जैकार, बोलो जी वाहेगुरु!
सिक्खां दा मन नीवां, मत उच्ची मत दा राखा आप वाहेगुरु।

हे अकाल पुरख दीन दयाल, करन कारन,
पतीत पावन, कृपा निपाण दी,
आपणे पंथ दे सदा सहाई दातार जीओ!
श्री ननकाना साहिब ते होर गुरद्वारेयां, गुरधामां दे,
जिनां तों पंथ नूं विछोड़या गया है,
खुले दर्शन दीदार ते सेवा संभाल दा दान खालसा जी नूं बख्शो।
हे निमाणेयां दे माण, निताणेयां दे ताण,
निओटेयां दी ओट, सच्चे पिता वाहेगुरू!
आप दे हुज़ूर ……… दी अरदास है जी।

अक्खर वाधा घाटा भुल चूक माफ करनी।
सरबत दे कारज रास करने।
सोई पियारे मेल, जिनां मिलया तेरा नाम चित्त आवे।
नानक नाम चढ़दी कलां, तेरे भाणे सरबत दा भला।
वाहेगुरू जी का खालसा,
वाहेगुरू जी की फतेह॥

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