थाईपूसम का आज मनाया जा रहा है त्योहार जाने क्या है इसका महत्व ?
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आज देशभर में तमिल समुदाय थाईपूसम का त्योहार मना रहा है. इस दिन भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय, जो भगवान मुरुगन के नाम से प्रसिद्ध हैं, उनकी पूजा की जाती है. थाईपूसम का त्योहार तमिल सौर माह थाई में पड़ता है,
जबकि अन्य हिन्दू कैलेंडर में थाई माह को मकर माह के रूप में जानते हैं. थाईपूसम त्योहार दो शब्दों से मिलकर बना है. पहला थाई, जो तमिल माह है और दूसरा पुष्य नक्षत्र है, जिसे तमिल में पूसम कहा जाता है. इन दोनों के योग से थाईपूसम बना है. आइए जानते हैं थाईपूसम की तिथि, मुहूर्त के बारे में.
दृक पंचांग के अनुसार, पूसम् नक्षत्र का प्रारंभ आज 18 जनवरी दिन मंगलवार को प्रात: 04 बजकर 37 मिनट पर हुआ है और इसका समापन कल 19 जनवरी दिन बुधवार को प्रात: 06 बजकर 42 मिनट पर होगा. ऐसे में थाईपूसम का त्योहार आज ही मनाया जा रहा है.
आज के दिन शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 10 मिनट से दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक है. सर्वार्थ सिद्धि योग कल प्रात: 06 बजकर 43 मिनट से 07 बजकर 14 मिनट तक है.
थाईपूसम त्योहार भारत के अलावा दुनिया के उन देशों में भी मनाया जाता है, जहां पर तमिल समुदाय निवास करता है. यह श्रीलंका, मॉरीशस, सिंगापुर, मलेशिया आदि में भी मनाया जाता है.
थाईपूसम का त्योहार केरल में भी मनाया जाता है, जिसे थाईपूयम कहते हैं. तमिलनाडु के पलानी अरुल्मिगु धानदयुथापानी मंदिर में थाईपूसम का त्योहार 10 दिनों तक मनाया जाता है, जिसे ब्रह्मोत्सवम् के नाम से जानते हैं.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आज के दिन ही माता पार्वती ने भगवान मुरुगन को उनका दिव्यास्त्र भाला दिया था. उसकी मदद से ही भगवान मुरुगन ने सुरपद्म नामक राक्षस का वध किया था
और विजय प्राप्त की थी. इस वजह से इस दिन को भगवान मुरुगन की विशेष पूजा की जाती है. उनकी कृपा से सभी दुख दूर होते हैं और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है.
भगवान कार्तिकेय को दक्षिण भारत में वैसे से पूजा जाता है, जैसे गणेश जी को उत्तर भारत में. भगवान कार्तिकेय को स्कंद कुमार, भगवान मुरुगन जैसे कई नामों से जाना जाता है. उनकी सवारी मोर है और प्रमुख अस्त्र भाला है.