हर्षवर्धन का कहना है, की भारत में अब पोस्टमार्टम बिना चीर -फाड़ के होगा .
1 min readइस प्रक्रिया में मृत शरीर को बिन टच किये जांचा जाता है। इसके जरिये शरीर को एक बैग में पैक किया जाता है, जिसके बाद उसे एक सीटी स्कैन मशीन में रखा जाता है और फिर कुछ सेकंड के भीतर, आंतरिक अंगों की हजारों कैप्चर की जाती हैं, जिनका आगे फॉरेंसिक विशेषज्ञों द्वारा विश्लेष्ण किया जाता है।इस प्रोजेक्ट में काफी निवेश करने की जरूरत है। क्योंकि सीटी स्कैन की मशीनें काफी महंगी आती हैं। वर्चुअल ऑटोप्सी में मृत व्यक्ति के रिकॉर्ड डिजिटल फॉर्मेट मं उपलब्ध होते हैं और इस तरह एक ही शरीर पर अन्य फॉरेंसिक विशेषज्ञों द्वारा विश्लेषण किया जा सकता है।
टीम इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के साथ मिलकर एक ऐक्सपेरिमेंट करने जा रही है, जिसमें ऑटोप्सी को वर्चुअली कंडक्ट किया जाएगा। बता दें कि इस प्रक्रिया को स्विटजरलैंड के अलावा कई पश्चिमी देशों में पहले से फॉलो किया जा रहा जा रहा है।
एम्स और आईसीएमआर ऐसी तकनीक पर काम कर रहे, जिससे बिना चीड़-फाड़ के ऑटोप्सी की जा सकेगी। एम्स के प्रोफेसर और फॉरेंसिक मेडिसिन के डॉक्टर सुधीर गुप्ता ने बताया कि कई परिवार इस प्रक्रिया के लिए तैयार नहीं होते। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
यह तकनीक स्विट्जरलैंड, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, नार्वे सहित कई देशों में शुरू हो गया है. हर्षवर्धन ने कहा कि नयी पद्धति में समय भी कम खर्च होगा और यह किफायती भी होगी. इसमें डिजिटल रिकार्ड भी रखा जा सकेगा.