April 23, 2024

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नागरिकता संशोधन बिल: मन में उठ रहे होंगे 5 सवाल, बेहद सरल शब्‍दों में पढ़ें जवाब

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 नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (Citizenship Amendment Bill 2019) बुधवार को राज्यसभा में पारित हो गया. यह विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है. नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने के बाद अब देश के विभिन्न हिस्सों में अवैध तरीके से निवास करने वाले अप्रवासियों के लिए अपने निवास का कोई प्रमाण पत्र नहीं होने के बावजूद नागरिकता हासिल करना सुगम हो जाएगा. भारत की राष्ट्रीय के लिए पात्र होने की समय सीमा 31 दिसंबर 2014 होगी. मतलब इस तिथि के पहले या इस तिथि तक भारत में प्रवेश करने वाले नागरिकता के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे. नागरिकता पिछली तिथि से लागू होगी. हालांकि इस बिल का कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने विरोध भी किया. इस संदर्भ में जानिए क्‍या है ये बिल, विरोध की वजहें और इसके मायने?

आइए सवाल-जवाब के जरिये इस बिल के बारे में बताते हैं:-

पहला सवाल- इस बिल को Amendment Bill यानी संशोधन विधेयक क्यों कहा जा रहा है ?
जवाब- क्योंकि इस मुद्दे पर कानून पहले से है, सरकार इसमें संशोधन कर रही है. पहली बार 1955 में ये कानून बना था. और तब से 8 बार इसमें संशोधन किए जा चुके हैं.

दूसरा सवाल- नागरिकता संशोधन बिल में क्या है?
जवाब- इस बिल में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है. यानी जो शरणार्थी 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत आए हैं, उन्हें नागरिकता मिल जाएगी.

तीसरा सवाल- गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक शरणार्थियों में कौन लोग आएंगे
जवाब- इनमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के लोग आएंगे.

चौथा सवाल- क्या इसका फायदा सिर्फ शरणार्थियों को होगा ?
जवाब- शरणार्थियों को तो होगा ही, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में रह रहे, भारतीय मूल के लोग भी इसके लाभार्थी हो सकते हैं . खास तौर पर वो, जो धार्मिक आधार पर अत्याचार का शिकार हैं.

पांचवां सवाल- इस बिल का विरोध क्यों हो रहा ?
जवाब- विपक्ष का कहना है कि धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं मिलनी चाहिए, ये समानता के अधिकार का उल्लंघन है .

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