पाकिस्तान को आतंकिस्तान बनाने में सेना का रहा बड़ा हाथ, चार दशक तक हुई लोकतंत्र की ‘हत्या’ ।
1 min readपाकिस्तान की विशेष अदालत ने देशद्रोह के मामले में पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को फांसी की सजा सुनाई है। जनरल अयूब खान, जनरल याह्या खान, जनरल जिया-उल-हक के बाद परवेज मुशर्रफ पाकिस्तान पर शासन करने वाले चौथे सैन्य कमांडर हैं। कई बार चुनी हुई सरकारों का तख्तापलट करने वाली पाकिस्तानी फौज लगभग 43 साल तक सत्ता में रही। इस दौरान उसने अपनी कट्टरवादी सोच से पाकिस्तान को आतंकिस्तान देश बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। आइये जानते हैं पाक में कब-कब रहा सैन्य शासन…
अयूब खान
1947 में भारत से अलग होकर पाकिस्तान बन तो गया, लेकिन 11 साल बाद ही जनरल मुहम्मद अयूब खान ने सत्ता हथिया ली और 1958 में खुद को पाकिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया। पूरे 11 साल तक अयूब खान ने राज किया। इस दौरान भारत के हाथों पाकिस्तान की करारी हार से अयूब खान की सत्ता पर पकड़ कमजोर होने लगी और 1969 में जनरल याह्या खान ने उन्हें हुकूमत से बेदखल करके पाकिस्तान की बागडोर अपने हाथों में ले ली।
याह्या खान
25 मार्च, 1969 को राष्ट्रपति का पद संभालने वाले याह्या खान के जमाने में पूर्वी पाकिस्तान का बांग्लादेश के रूप में जन्म हुआ और 1971 में भारत के हाथों पाकिस्तान को करारी शिकस्त मिली। याह्या खान को पाकिस्तान की हार का प्रमुख कारण माना गया। 20 दिसंबर, 1971 को उन्होंने राष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया। उनसे सभी सेवा सम्मान छीन लिए गए। 1979 तक वह हाउस अरेस्ट में रहे।
जिया-उल-हक
याह्या खान के हटने के बाद पाकिस्तान में एक बार फिर लोकशाही की बयार चली और जुल्फीकार अली भुट्टो चुनकर प्रधानमंत्री बने, लेकिन जिस जनरल जिया-उल-हक को उन्होंने आर्मी चीफ बनाया, उसी जिया-उल-हक ने 1978 में भुट्टो का तख्तापलट करके खुद ही पाकिस्तान की कमान संभाल ली। साल भर बाद जिआ-उल-हक ने भुट्टो को फांसी पर लटका दिया। उसके बाद 1988 में जिया-उल-हक की विमान दुर्घटना में मौत होने तक पाकिस्तान में फौजी हुकूमत रही।
परवेज मुशर्रफ
फौजी हुकूमत जाने के बाद चुनाव तो कई बार हुए, लेकिन पाकिस्तान हमेशा लड़खड़ाता ही रहा। दुनिया ने एक बार फिर पाकिस्तान में फौजी हुकूमत तब देखी, जब 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को बेदखल करके आर्मी चीफ परवेज मुशर्रफ ने सत्ता हथिया ली।
फांसी की सजा की स्थिति
- पाक कैदियों के अधिकारों के लिए काम करने वाले एक गैर-सरकारी संगठन द्वारा 2018 में काउंटिंग द कंडेम्ड, जस्टिस प्रोजेक्ट पाकिस्तान नामक तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक,
- 2004 से अबतक पाकिस्तान में 4,500 लोगों को मिल चुकी है मौत की सजा।
- 2009 से अबतक दुनिया में कम से कम 19, 767 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई है। इसी दौरान पाकिस्तान की अदालतों ने 2, 705 लोगों को मौत की सजा सुनाई, जो दुनिया भर में मौत की सजा का 14 फीसद है।