May 8, 2024

Sarvoday Times

Sarvoday Times News

मध्य प्रदेश के विदिशा में 800 हेक्टेयर जंगल पर पत्थर माफिया का कब्जा .

1 min read

संरक्षित वन क्षेत्र होने के बावजूद वन विभाग और जिला प्रशासन अवैध खनन रोकने में नाकाम है। सूत्रों के अनुसार, वर्ष 1971 में विदिशा और रायसेन जिले की सीमा पर हलाली बांध (सम्राट अशोक सागर परियोजना) का निर्माण हुआ था। बांध में वन विभाग की जमीन डूब गई थी। बदले में तत्कालीन प्रदेश सरकार ने वन विभाग को गंजबासौदा तहसील में 800 हेक्टेयर जमीन दी थी।

यहां घना जंगल विकसित करना था, लेकिन पूरा क्षेत्र पथरीला होने के कारण 48 वर्षों के दौरान वन विभाग ने इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किए। यह क्षेत्र उदयपुर, पठारी, घटेरा और त्योंदा तक फैला है। दुर्गम क्षेत्र होने के कारण यहां अंदर तक पहुंचना काफी मुश्किल है। बाहरी व्यक्ति के आने पर पत्थर माफिया के लोग घेर लेते हैं। इन खदानों में लगभग 18 हजार मजदूर कार्यरत हैं।

रसूखदारों का कब्जा

इस क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाला लाल और काला पत्थर पाया जाता है, जो विदेशों में निर्यात होता है। इसके अलावा हरा और पीला पत्थर भी है। इसी कारण यहां अवैध खनन बढ़ता गया। अवैध खनन में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के बड़े नेता व अन्य रसूखदार भी शामिल हैं। वर्तमान में पूरी वन भूमि पत्थर माफिया के कब्जे में है। विदिशा से लेकर भोपाल तक आला अफसरों को जानकारी होने के बावजूद कोई बड़ी कार्रवाई नहीं होती।

All Posts

हर साल इन खदानों से करोड़ों रुपए का पत्थर निर्यात होता है, लेकिन शासन को कुछ नहीं मिलता। जिला खनिज अधिकारी एमएस रावत के मुताबिक, इन अवैध खदानों के कारण शासन को हर साल तीन से चार करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है। वन विभाग के रेंजर सुरेश शर्मा ने बताया कि अवैध खदानों पर समय-समय पर कार्रवाई की जाती है।

loading...
Copyright © All rights reserved. | Newsphere by AF themes.