अनुच्छेद 370 पर पूर्व के फैसलों में विरोध हो, तभी मामला बड़ी पीठ को भेजेंगे :सुप्रीम कोर्ट
1 min readसुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वह अनुच्छेद 370 के मामले को सात जजों की बड़ी संविधान पीठ को तभी भेजेगी जब सर्वोच्च अदालत के दो पूर्ववर्ती फैसलों के बीच सीधे तौर पर विरोधाभास होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को स्पष्ट कहा कि अनुच्छेद-370 का मुद्दा फिलहाल सात सदस्यीय बड़ी सांविधानिक पीठ को नहीं भेजा जाएगा। पांच सदस्यीय सांविधानिक पीठ ने कहा कि जब तक याचिकाकर्ताओं की तरफ से अनुच्छेद-370 से जुड़े शीर्ष अदालत के दोनों फैसलों (1959 का प्रेमनाथ कौल बनाम जम्मू-कश्मीर और 1970 का संपत प्रकाश बनाम जम्मू-कश्मीर) के बीच कोई सीधा टकराव साबित नहीं किया जाता, वह इस मुद्दे को वरिष्ठ पीठ को नहीं भेजेगी। बता दें कि दोनों ही फैसले पांच सदस्यीय सांविधानिक पीठ ने ही सुनाए थे।
जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को बुधवार को जम्मू और कश्मीर की बार एसोसिएशन ने बताया कि केंद्र सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त को अनुच्छेद-370 को अवैध बताते हुए हटा दिया था।
इस खंडपीठ में शामिल जस्टिस संजय किशन कौल, आर.सुभाष रेड्डी, बीआर गवई और सूर्यकांत ने कहा कि आपको हमें दिखाना होगा कि सुप्रीम कोर्ट के दोनों फैसलों के बीच विरोधाभास है। तभी इस मामले को बड़ी बेंच को रेफर किया जाएगा, लेकिन इसके लिए फैसलों में विपरीत बात साबित होनी चाहिए।
वकीलों के संगठन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील जफर अहमद शाह ने कहा कि भारतीय संविधान और जम्मू व कश्मीर का संविधान एक-दूसरे के समानांतर थे। इन दोनों को आपस में अनुच्छेद 370 से जोड़ा गया था।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया था कि अनुच्छेद 370 को जारी रखा जाए
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के संपत्त प्रकाश के फैसले में कहा गया था कि अनुच्छेद 370 को जारी रखा जाए। शाह ने कहा कि दोनों ही संविधान साथ-साथ चल रहे थे। अनुच्छेद-370 की उपधारा (2) इसीलिए थी, ताकि दोनों संविधानों में कोई संघर्ष न हो। इसलिए उन्होंने इस मामले को विचार के लिए सात जजों की संविधान पीठ को सौंपने का आग्रह किया।