गंभीर मरीजों को मिलेंगी सांसे। …. लखनऊ में नए वेंटिलेटर लगेंगे
1 min readसूत्रों से मिली जानकारी के मुताबित उत्तर प्रदेश के लखनऊ में पीजीआई में 55 व केजीएमयू में 50 अतिरिक्त वेंटिलेटर की व्यवस्था करने जा रही है। यह काम दो तीन महीने में पूरा हो जाएगा। विधानसभा में यह बात चिकित्सा शिक्षा व संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने सपा के मनोज पांडेय के सवाल पर कही मनोज पांडेय का कहना था कि वेंटिलेटर की कमी के कारण हजारों मरीजों को मजबूरन निजी अस्पतालों में जाकर महंगा इलाज कराना पड़ता है।
संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि केजीएमयू में इस समय 193 वेंटीलेटर व पीजीआई में वेंटिलेटर 205 हैं। मानको के हिसाब से 100 वेड पर 20 वेंटिलेटर होने चाहिए। लेकिन मांग इससे ज्यादा की रहती है। एक वेंटिलेटर के संचालन में एनेस्थीसिया के डाक्टर समेत 146 लोग चाहिए होते हैं। बसपा के लालजी वर्मा ने एनेस्थीसिया के डॉक्टर की संख्या बढ़ाने की मांग की।
वेंटिलेटर की कमी दूर होने से मरीजों को खासी सहूलियत होगी। गंभीर मरीजों की जान बचाने में डॉक्टरों को खासी मदद मिलेगी। केजीएमयू में करीब 4500 बेड हैं। रोजाना 30 से ज्यादा मरीजों को वेंटिलेटर के अभाव में लौटा दिया है। वहीं 12 से ज्यादा मरीजों को एम्बुबैग के सहारे सांसे दी जाती है केजीएमयू में प्रदेश भर से गंभीर हाल में मरीज लाए जा रहे हैं। वेंटिलेटर के अभाव में मरीजों की भर्ती कठिन हो जाती है।
मरीजों की दुश्वारियां दूर करने के लिए केजीएमयू प्रशासन करीब छह माह से वेंटिलेटर खरीदने की प्रक्रिया कर रहा है। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही वेंटिलेटर की खरीद प्रक्रिया पूरी होगी। इससे मरीज को राहत मिलने की उम्मीद है। इसी तरह पीजीआई में भी मरीजों के दबाव के मुकाबले वेंटिलेटर की कमी है। वेंटिलेटर की संख्या बढ़ने से और गंभीर मरीजों की भर्ती की जा सकेगी।