आरोपियों के पोस्टर मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आज। ….
1 min readबतादे नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हुई हिंसा के आरोपियों के पोस्टर लगाए जाने के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट आज फैसला सुनाएगा। इस पूरे मामले में यूपी सरकार अपने फैसले पर टिकी हुई है। उधर, हाई कोर्ट ने सख्त रूप अपना रखा है। इससे पहले हाई कोर्ट ने कहा था कि संबंधित व्यक्ति की अनुमति के बिना उसका फोटो या पोस्टर लगाना गैरकानूनी है हाई कोर्ट ने कहा था कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन भी है। हाई कोर्ट ने लखनऊ में सीएए विरोधी हिंसा के आरोपियों के पोस्टर लगाने और रिकवरी नोटिस के मामले में रविवार को सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित कर लिया था।
कोर्ट ने कहा कि मामले में फैसला सोमवार दोपहर बाद दो बजे ओपन कोर्ट में सुनाया जाएगा चीफ जस्टिस की कोर्ट में चली सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राघवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि सरकार के इस निर्णय से भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लगेगी। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में कोर्ट को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी ने बताया कि सुनवाई के दौरान कोर्ट की ओर से पूछे गए सभी सवालों का सरकार की ओर से जवाब दिया गया। कोर्ट ने अभी कोई आदेश-निर्देश नहीं दिया है।
हाई कोर्ट ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में एडीएम बिजनौर के नोटिस के क्रियान्वयन पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी है। बिजनौर के जावेद आफताब और तीन अन्य की अर्जी पर जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस दीपक वर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश दिया। याचियों का कहना था कि लोक संपत्ति के नुकसान के आकलन का अधिकार हाई कोर्ट के जज या जिला जज को ही है। मामले में अगली सुनवाई 20 अप्रैल को होगी