बिहार चुनाव : महागठबंधन में बिछड़ रहे सभी बारी-बारी, क्या तेजस्वी यादव पर पड़ेगा भारी:
1 min readपिछले चार विधानसभा चुनाव की बात करें तो ऐसा पहली बार हुआ है कि बिहार विधानसभा 2020 को लेकर नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई लेकिन, चुनावी अखाड़े में उतरने वाले दोनों गठबंधन में सीटों का तालमेल नहीं हो सका है। एक तरफ जहां महागठबंधन में तेजस्वी के तेवर की वजह से एक एक कर घटक दल साथ छोड़कर चले गए वहीं दूसरी तरफ एनडीए में चिराग पासवान की वजह से अब तक मामला फंसा हुआ है।
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले ही राज्य में मौजूदा महागठबंधन बिखर चुका है। क्या अब बिहार में माइनस आरजेडी महागठबंधन का स्वरूप बनाने की कोशिश हो रही है? दरअसल आज जो कुछ महागठबंधन में हो रहा है इसकी नींव मई में ही रखी जा चुकी थी। मई के महीने में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार के पटना स्थित आवास पर कांग्रेस नेताओं की बैठक हुई थी। इस बैठक में पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश सिंह, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह सरीखे कई नेता शामिल हुए थे। बैठक के जरिए आरजेडी को यह संदेश दिया गया था कि इस बार बिहार विधानसभा का चुनाव कांग्रेस के नेतृत्व में लड़ा जाए। इसके अलावा महागठबंधन में जेडीयू के अलग होने के बाद जेडीयू के कोटे वाली सीट यानी 101 सीट कांग्रेस को दी जाएं।
जीतनराम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा, मुकेश सहनी ने की थी शरद यादव के साथ अलग से बैठक
कोरोना महामारी फैलने के पहले यानी इसी साल फरवरी के महीने में महागठबंधन के ती घटक दल उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी, हम के जीतन राम मांझी और वीआईपी के मुकेश साहनी ने वरिष्ठ नेता शरद यादव के साथ राजधानी पटना के बड़े होटल चाणक्य में बैठक की थी। बैठक में लालू यादव के पुत्र और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के रवैये पर नाराजगी जाहिर करने के साथ अलग प्रकार की खिचड़ी पकाए जाने के संकेत मिले थे। हालांकि बैठक खत्म होने के बाद किसी नेता ने अपना मुंह नही खोला था लेकिन, सभी नेताओं ने धीरे से यह जरूर कहा था कि तेजस्वी यादव का व्यवहार ठीक नही है।
अगर महागठबंधन के अंदर चल रही खींचतान का गहराई से आंकलन करें तो पता लगता है कि आरजेडी को छोड़ बाकी के बचे धड़े को भी तेजस्वी का नेतृत्व रास नहीं आ रहा है। अगर लालू प्रसाद यादव बाहर होते तो शायद ऐसी नौबत ही नहीं आती। लेकिन लालू प्रसाद यादव चारा घोटाला मामले में जेल में बंद है। ऐसे में तेजस्वी यादव का नेतृत्व स्वीकारना बाकी बचे दल के नेताओं को पच नहीं रहा है। तो क्या महागठबंधन में शामिल कांग्रेस और और अन्य दल यह चाहते हैं कि आरजेडी को बाहर कर, महागठबंधन छोड़कर जाने वाले घटक दलों को फिर नया स्वरूप दे दिया जाए। क्योंकि जो संकेत मिल रहे है उसे देख यही पता चलता है कि कांग्रेस भी अब तेजस्वी यादव के तेवर से परेशान है।
माइनस आरजेडी महागठबंधन बनाने की मुहीम अगर फेल होती है तो कांग्रेस का प्लान ‘बी’ भी तैयार कर रखी है। हाल ही में कांग्रेस के बड़े नेताओ की बैठक में यह भी तय किया गया था कि अगर आरजेडी उन्हे कम सीटें देती है तो वो सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है। अब यह साफ हो चुका है कि कांग्रेस को तेजस्वी यादव उतनी ही सीट देना चाहते है जितने में कांग्रेसी नेता हमेशा आरजेडी के दबाब में रहें। महागठबंधन में अब बड़े घटक दल के तौर पर सिर्फ कांग्रेस ही बची है, लेफ्ट का एक धड़े ने तो तेजस्वी यादव के रूख की वजह से महागठबंधन को तिलांजली देते हुए 30 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा भी कर दिया है। सूत्र के मुताबिक आरजेडी सुप्रीमों लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी यादव द्वारा सीट शेयरिंग को लेकर बनाया गया नया फार्मूला भी कांग्रेस को रास नही आया है। लिहाजा राजनीति के जानकार बताते है कि एक से दो दिन में कांग्रेस भी महागठबंधन से अलग हो सकती है। राजनीति के जानकारों का यह भी कहना है कि यह कदम कांग्रेस के भविष्य के लिए बेहतर साबित होगा।
इधर माइनस आरजेडी की बात सुन आरजेडी नेता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि कांग्रेस चाहे नेतृत्व की बात कर रही हो। लेकिन महागठबंधन आर्किटेक्ट लालू प्रसाद यादव रहे हैं। इसलिए बिहार में बगैर आरजेडी महागठबंधन की बात ही बेमानी है। वहीं जेडीयू कहना है कि तेजस्वी यादव की राजनीति यात्रा अब खत्म हो चुकी है। क्योंकि तेजस्वी यादव से अपमानित होने के बाद पहले जीतनराम मांझी ने साथ छोड़ा, फिर तेजस्वी ने उपेंद्र कुशवाहा को भी अपमान का घूंट पिलाया लिहाजा वो भी महागठबंधन से अलग हो गए। अब महागठबंधन में सिर्फ कांग्रेस के साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा,समाजवादी पार्टी ही बची है। पहले सिर्फ मांझी और कुशवाहा को तेजस्वी यादव का नेतृत्व रास नही आ रहा था, अब कांग्रेस भी तेजस्वी यादव का नेतृत्व स्वीकारने को तैयार नहीं है। जेडीयू का कहना है कि बिहार चुनाव 2020 में आरजेडी की स्थिति 2010 के विधानसभा चुनाव परिणाम से भी बदतर होने जा रही है।