हरियाणा: दर्ज केस वापस न होने पर जाट समुदाय गुस्से में, आंदोलन की दी चेतावनी
1 min readहरियाणा में एक बार फिर जाट समुदाय आरक्षण को लेकर आंदोलन करने की रणनीति बनाने में जुट गए हैं. अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने हिसार में ऐलान किया है कि हरियाणा सरकार के पास दिसंबर तक का वक्त है, इस समय सीमा तक जाट समुदाय के युवाओं पर दर्ज केस वापस लिए जाएं. अगर ऐसा नहीं होता है तो जनवरी में आंदोलन का आगाज हो जाएगा. इस मसले को लेकर जाट समुदाय ने हिसार में मीटिंग भी की है. अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने अब तक के पहलुओं पर मंथन किया और बताया कि आखिर तमाम केसों की स्थिति क्या है.
अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र सिंह पूनिया ने बताया कि बुधवार को हिसार के डीसी अशोक मीणा को अल्टीमेटम देते हुए ज्ञापन भी दिया है, जिसमें सरकार से मांग की गई है कि दिसंबर के अंत तक सरकार समुदाय की उन मांगों को पूरा करें, जिन पर सरकार और संघर्ष समिति के बीच सहमतियां बनीं थी. पूनिया ने कहा कि समय रहते अगर सरकार उनकी डिमांड को पूरा नहीं करती है तो प्रदेश में जाट समुदाय बड़े फैसले का ऐलान करेगा.
अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के नेता राम भगत मलिक ने बताया कि समिति के पदाधिकारियों की 28 दिसंबर को रोहतक के जसिया में एक मीटिंग बुलाई गई है. इस मीटिंग में जाट आरक्षण संघर्ष समिति के तमाम बड़े पदाधिकारी मौजूद रहेंगे. इस मीटिंग में तमाम पहलुओं पर मंथन होगा और पूरे प्रदेश के जाट समुदाय के नेताओं से फीडबैक लेकर आगे की रणनीति का ऐलान कर दिया जाएगा.
पूनिया ने बताया कि इन मांगों को लेकर उनकी हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला से भी मुलाकात हो चुकी है. तब दुष्यंत की तरफ से भी उन्हें समस्या के समाधान का आश्वासन मिला था लेकिन फिलहाल तक बीजेपी जेजेपी ने गौर नहीं किया है. आंदोलन कैसा रहेगा? इस सवाल पर बोलते हुए महेंद्र सिंह ने कहा कि आंदोलन का कुछ नहीं पता कब गरम हो जाए और कब तक ठंडा रहे. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि सरकार को जाट समुदाय की मांगों के प्रति गंभीरता से विचार करना चाहिए.
आपको बता दें कि हरियाणा में जाट आरक्षण को लेकर पिछले आंदोलन के वक्त प्रदेश में हिंसा भी हुई थी, ऐसे में पुलिस ने केस दर्ज किए थे लेकिन जिस तरह से अब जाट समुदाय ने दोबारा से आंदोलन को लेकर आगे की रणनीति बनानी शुरू कर दी है, उसे देख अब यहीं देखना होगा कि सरकार इस पूरे पहलु से कैसे निपटती है.