मुश्किलो में फंसे महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे,खतरे में उद्धव ठाकरे की कुर्सी
1 min readउद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के सीएम हैं। हालांकि, वह विधानमंडल के सदस्य नहीं हैं। उद्धव ठाकरे का विधानमंडल का सदस्य ना होना ही उनकी सरकार के खतरा बन गया है। 28 मई तक अगर उद्धव ठाकरे विधानमंडल के सदस्य नहीं बनते हैं तो उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ेगा। उद्धव ठाकरे को विधान परिषद का सदस्य मनोनीत करने के लिए राज्य की कैबिनेट ने राज्यपाल से अपील की। अब सबकुछ राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के हाथ में है। यहां भगत सिंह कोश्यारी जेबी वीटो (पॉकेट वीटो) का इस्तेमाल करते दिख रहे हैं। इस वीटो के तहत गवर्नर प्रस्ताव को अपने पास लंबित रखते हैं और उसपर कोई जवाब नहीं देते हैं।गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी की ओर से कोई जवाब मिलता ना देखकर उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी बात की है। उद्धव ने पीएम मोदी से अनुरोध किया है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करके इसे जल्द से जल्द हल कराने का प्रयास करें।
महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार का तर्क है कोरोना के इस संकट के समय उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य सरकार पर कोई संकट ना आए।उद्धव ठाकरे की निगाहें अप्रैल महीने में होने वाले विधान परिषद चुनाव पर थीं। कोरोना के कारण सभी प्रकार के चुनाव स्थगित कर दिए गए। ऐसे में वह उनके पास विधानमंडल का सदस्य बनने के लिए राज्य के मनोनयन वाली सीट ही बची है अजित पवार की इस बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि गवर्नर उद्धव ठाकरे को विधान परिषद के लिए मनोनीत कर दें।कैबिनेट के इस प्रस्ताव पर गवर्नर की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। गवर्नर के इस रुख से महा विकास अघाड़ी सरकार की बेचैनी बढ़ रही है गठबंधन नेताओं ने राज्यपाल से अपील की कि वह उद्धव ठाकरे को मनोनीत करने के प्रस्ताव पर जल्द फैसला लें।