October 1, 2024

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लोन मोराटोरियम ना लेकर समय से किया किस्तों का भुगतान तो आपको मिलेगा कैशबैक:-

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सरकार ने साफ कर दिया है कि जिन लोगों ने लोन मोराटोरियम की सुविधा ली है, उन्हें ब्याज पर ब्याज नहीं देना होगा। यानी मार्च से अगस्त तक के 6 महीनों के दौरान उन्हें सिर्फ ब्याज का भुगतान करना है, वो भी उनके प्रिंसपल अमाउंट में जुड़ जाएंगे, जिसे वह बाद में दे सकते हैं। यानी अगर देखा जाए तो इन 6 महीनों में उन्हें कंपाउंड इंस्ट्रेस्ट के तहत ब्याज पर ब्याज से राहत मिली है। सवाल ये है कि जिन लोगों को इस सुविधा को नहीं लिया और जैसे-जैसे अपने लोन की किस्त चुकाई है |

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वित्त मंत्रालय ने साफ किया है कि जिन लोगों ने 6 महीनों के दौरान मोराटोरियम नहीं लिया और समय से अपने भुगतान किए हैं, उनके लिए कैशबैक या वैसे ही किसी विकल्प की तलाश की जा रही है। सरकार इसके लिए करीब 2 करोड़ रुपये तक खर्च कर सकती है। सरकार के एक सूत्र ने कहा कि जिन लोगों ने इस मुश्किल वक्त के बावजूद अपने लोन की किस्तें चुकाई हैं, उन्हें कोई फायदा नहीं मिल पाना उनके साथ गलत होगा। ऐसे में उन्हें भी कुछ फायदा मिलना चाहिए, ताकि वह भविष्य में भी समय से भुगतान के लिए प्रेरित हो सकें।

इससे पहले कई बार तमाम सरकारों ने किसानों के कर्ज माफ किए हैं। ऐसे कदमों की रिजर्व बैंक ने भी हमेशा आलोचना की है। केंद्र की तरफ से कई मौकों पर ऐसे कदम को गलत कहा गया है। ऐसे में उन लोगों को तो फायदा हो जाता है जो अपना कर्ज नहीं चुकाते या नहीं चुका पाते, लेकिन जो किसान ईमानदारी से समय से अपना कर्ज चुका देते हैं, उन्हें कोई फायदा नहीं मिलता। उल्टा देखा जाए तो उनका तो नुकसान ही हो जाता है। अगर वह कर्ज ना चुकाते तो सरकार उनका भी कर्ज माफ कर देती। इस तरह डिफॉल्ट को बढ़ावा भी मिलता है।

अब तक लोन के ब्याज पर भी ब्याज लगना था यानी कि कंपाउंडिंग इंस्ट्रेस्ट (चक्रवृद्धि ब्याज), लेकिन अब लोन के ब्याज पर ब्याज नहीं देना होगा। मौजूदा राहत के अनुसार सरकार पर करीब 5000-6000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। अभी ये राहत हर कर्जदार को नहीं मिली है। ऐसे में अगर सरकार ये तय करती है कि वह हर कर्जदार को ये राहत देगी तो उस पर करीब 10 हजार से 15 हजार करोड़ रुपये तक का बोझ बढ़ेगा। ब्याज पर लगने वाले ब्याज से राहत के बाद एक सवाल ये बड़ा उठ रहा है कि इससे किसे-किसे फायदा मिलेगा और इस राहत के बाद आम आदमी के कितने पैसे बचेंगे।

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर कहा है कि एमएसएमई लोन, एजुकेशन, हाउसिंग, कंज्यूमर, ऑटो, क्रेडिट कार्ड बकाया और उपभोग लोन पर ब्याज पर लगने वाले ब्याज को माफ किया जाएगा। सरकार के मुताबिक 6 महीने के लोन मोराटोरियम समय में 2 करोड़ रुपये तक के लोन के ब्याज पर ब्याज की छूट दी जाएगी। इससे ग्राहकों पर पड़ने वाले बोझ से उन्हें राहत मिलेगी।

लोन मोराटोरियम की सुविधा का लाभ उठाने वाले हर शख्स को एक बात ध्यान रखनी होगी कि कोरोना काल में मोराटोरियम के दौरान उसका लोन ब्याज मुक्त नहीं हुआ है। यानी राहत सिर्फ ब्याज पर लगने वाले ब्याज से मिली है, ना कि प्रिंसिपल अमाउंट पर लगने वाले ब्याज से। इसका मतलब हुआ कि अगर आपने 50 लाख रुपये का लोन 19 साल के लिए लिया हुआ है तो इस दौरान आप पर करीब 2 लाख रुपये का ब्याज पड़ेगा, जिसे आपको चुकाना ही होगा। अगर आप उसे इस अवधि में नहीं चुकाते हैं तो वह आपके प्रिंसिपल अमाउंट के साथ जुड़ जाएगा, जिसे आपको हर महीने अपनी ईएमआई के साथ चुकाना होगा, जिससे आपकी ईएमआई बढ़ेगी।

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कोरोना संकट की वजह से मार्च में लॉकडाउन लागू किया गया था। लॉकडाउन की वजह से कामधंधे बंद थे और बहुत से लोग लोन की ई एमआई नहीं चुकाने की स्थिति में थे। इसे देखते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के आदेश पर मोराटोरियम सुविधा के तहत बैंकों से ई एमआई नहीं चुकाने के लिए 6 महीने की मोहलत मिल गई, लेकिन लोग परेशान इसलिए थे क्योंकि उन्हें लोन के ब्याज पर भी ब्याज देना पड़ रहा था। अब ग्राहकों को इस अतिरिक्त बोझ से राहत मिल जाएगी।

 

अगर आपने मोराटोरियम की सुविधा शुरू होने के दौरान 50 लाख का लोन 19 साल (228 महीने) के लिए लिया है तो मार्च से अगस्त तक यानी 6 महीने के बीच आपको करीब 2 लाख रुपये का ब्याज देना होगा। अब मान लेते हैं कि आप मोराटोरियम के दौरान कोई भी पैसा नहीं दे सके और बैंक ने आपके ब्याज को भी आपके प्रिंसिपल अमाउंट के साथ जोड़ दिया। ऐसे में 228 महीने में हर महीने आपकी ईएमआई करीब 1709 रुपये बढ़ रही थी। लेकिन अब ब्याज पर ब्याज नहीं लगेगा तो आपकी ईएमआई सिर्फ 877 रुपये प्रति महीना बढ़ेगी। यानी 228 महीने के लोन के केस में आपको हर महीने 832 रुपये की बचत होगी। इसका मतलब हो जाता है कि मोराटोरियम के दौरान ब्याज पर ब्याज ना लगने की वजह से आपके लोन पर 19 सालों में कुल 832×228=1,89,696 रुपये बचेंगे।

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