December 15, 2024

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राजधानी में लगातार बढ़ी रिकवरी दर:-

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लखनऊ। राजधानी में एक तरफ मरीजों के मिलने की दर में स्थिरता आई है तो दूसरी तरफ रिकवरी की दर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। तो क्या इस लिहाज से भी इस दौर को संक्रमण का पीक माना जा सकता है? बहरहाल चिकित्सा विशेषज्ञ ऐसा ही मान रहे हैं। ऐसे में एक सवाल सबके मन में उठ रहा है कि वायरस से मुक्त होने में कितना समय लगेगा। बहरहाल विशेषज्ञों का कहना है कि इस पर अभी पुख्ता तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।

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राजधानी में रिकवरी की दर में भी लगातार बढ़ोतरी होने को चिकित्सा विशेषज्ञ सकारात्मक रूप में लेते हुए पीक सीजन मान रहे हैं। रिकवरी दर देखें तो 30 अगस्त को रिकवरी दर 71.48 फीसदी थी। यह 10 सितंबर को 73.91 फीसदी, 20 सितंबर को 78.72 फीसदी और 30 सितंबर को 87.09 फीसदी पर पहुंच गई।
आखिर पीक है क्या…
लोहिया संस्थान के कोविड हॉस्पिटल के नोडल प्रभारी डॉक्टर पीके दास इस सवाल पर कहते हैं कि जब मरीजों के मिलने की दर गिरने लगती है और रिकवरी दर बढ़ जाती है तो उसे पीक माना जाता है। पीक का मतलब होता है कि नए मामलों में स्थिरता आ जाना। नए मामलों के मिलने का सिलसिला लगातार गिरता रहे तो उसे पीक की श्रेणी में लिया जाता है। 1 अक्तूबर से 3 अक्तूबर तक के आंकड़ों को देखें तो लगातार पॉजिटिव मरीजों की संख्या में गिरावट आई है।
इस तरह बढ़ता रहा राजधानी का ग्राफ
राजधानी की स्थिति देखें तो यहां 1 जून तक 429 मरीज थे। करीब 20 दिन बाद यह संख्या बढ़कर 800 पहुंच गई। इसी तरह लगातार मरीजों के दोगुना होने का ग्राफ 20 दिन के अंदर रहा, लेकिन 29 अगस्त के बाद आंकड़े दोगुना होने में पूरे 30 दिन लग गए।
इस तरह कुल संक्रमितों का आंकड़ा 52 हजार के पार पहुंचा
एक जून 429
21 जून को 863
7 जुलाई 1648
17 जुलाई 3299
27 जुलाई 6612
10 अगस्त 13391
29 अगस्त 26034
30 सितंबर 52025
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मरीजों की संख्या में गिरावट आई है, पर सावधानी बेहद जरूरी
राजधानी में मरीजों की संख्या में गिरावट आई है। फिर भी हर व्यक्ति को सावधानी बरतनी होगी। क्योंकि संख्या में गिरावट देखकर लोग लापरवाह हो जाएंगे तो फिर से नई समस्या खड़ी हो जाएगी। मरीजों की संख्या गिर रही है अच्छी बात है, लेकिन 2 माह तक हर व्यक्ति को पहले की तरह ही सावधानी बरतनी होगी। बाहर निकलने पर मास्क लगाएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। जब नए लोग संक्रमण की जद में नहीं आएंगे तो वायरस का प्रसार थमेगा और धीरे-धीरे कम होने लगेगा।
डॉ. डी. हिमांशु , नोडल अधिकारी संक्रामक नियंत्रण विभाग केजीएमयू
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दर भले ही घटी, गंभीर मरीज अब भी आ रहे हैं

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राजधानी में मरीजों के मिलने की दर कम हुई है, लेकिन गंभीर मरीज अभी भी आ रहे हैं। कोविड-19 का खतरा अभी टला नहीं है। लोगों को पहले की तरह ही पूरी तरह से सावधानी बरतनी होगी। क्योंकि जिस सेकंड वेव की बात की जा रही है वह लोगों की लापरवाही की वजह से आती है। जब लोग नियमों का पालन करना बंद कर देते हैं तो एक बार फिर संक्रमण बढ़ने की आशंका प्रबल हो जाती है। इसलिए हमेशा सावधानी बरतें। खास तौर से जिन लोगों का पहले से इलाज चल रहा है उन्हें हर हाल में मास्क का प्रयोग करना चाहिए।
डॉ. आरके सिंह, नोडल अधिकारी कोविड हॉस्पिटल पीजीआई|

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